द्रोणाचार्य इंडोर स्टेडियम में आयोजित अंतरक्षेत्रीय बैडमिंट प्रतियोगिता में IPS के विद्यार्थियों ने ससम्मान ग्रहण कराया अतिथियों को स्थान

0 विद्यार्थियों ने अतिथियों को तिलक लगाकर दिया सम्मान, दिया अतिथि देवो भवः का संदेश

कोरबा, 6 मई (वेदांत समाचार)। आज विज्ञान की प्रगति और प्रतिस्पर्धा के इस माहौल में एक तरफ जहाँ लोग अपनी सभ्यता और संस्कृति को बिसारते जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर आज भी हमें ऐसे मिसाल देखने को मिल जाते हैं कि हमारी संस्कृति आज भी जीवित है और हमेशा रहेगी । आज जगह-जगह पर हमें सरकारी विद्यालय बनाम प्राइवेट पब्लिक स्कूल देखने को मिलते हैं । सरकारी विद्यालयों को जोड़े रखा जाता है वहीं आज अधिकांश पब्लिक स्कूलों में केवल और केवल पाश्चात्य संस्कृतियों का ही अंधानुकरण किया जाता है । आज प्रतिस्पर्धा के इस माहौल में एवं पाश्चात्य संस्कृति के असर के फलस्वरूप हम शायद अपनी धरोहरों, संस्कृतियों और सभ्यताओं को भूलते जा रहे हैं । लेकिन आज भी कई ऐसे प्राइवेट पब्लिक स्कूल हैं जो इंगलिस मीडियम भले ही हैं लेकिन बच्चों को संस्कृतियों से जोड़े रखे हैं । जी हाँ दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का विशेष खयाल तो रखा ही जाता है अपितु उनके नैतिक विकास का भी विशेष ध्यान रखा जाता है । इसी का जीता जागता उदाहरण देखने को मिला द्रोणाचार्य इंडोर स्टेडियम में जहाँ विगत दिनों एसईसीए के तत्वाधान में आयोजित अंतरक्षेत्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता में इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने शिरकत कर क्रमशः आगंतुक अतिथियों का तिलक लगाकर पुष्पगुच्छ देकर एवं सादर अभिवादन कर स्वागत किया साथ ही उन्हें मंच तक ससम्मान स्थान ग्रहण करवाया । पूरे समय तक बड़ी विनम्रता से अतिथियों का अभिवादन कर व सम्मानित कर इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने अतिथियों को प्रभावित कर दिया । बताना आवश्यक है कि इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में विशेष रूप से बच्चों के नैतिक विकास विकास हेतु समय-समय पर विशेष सेमिनार का आयोजन किया जाता है जिससे सतत रूप से बच्चों का नैति विकास हो । कार्यरत शिक्षक-शिक्षिका भी बच्चों को सदा विनम्रता व नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं ।


ज्ञात हो कि विगत दिनों संपन्न हुई इस प्रतियोगिता में एसईसीएल के महाप्रबंधक श्री रंजन प्रसाद साह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे । इस प्रतियोगिता में एसईसीएल के विभिन्न क्षेत्रों ने भाग लिया ।


विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि नैतिक शिक्षा मानव व्यक्तित्व के उत्कर्ष का संस्कारित जीवन तथा समस्त समाज हित का प्रमुख साधन है । मानवादी चेतना का विकास भी इसी से संभव है अतएव विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए । नैतिक शिक्षा अर्थात इंसान के अच्छे गुण, सत्य, अहिंसा, सामाजिक रीति-रिवाजों का पालन करना । विद्यालय में किताबी ज्ञान के अलावा नैतिक शिक्षा का ज्ञान अतिआवश्यक है क्योंकि बिना नैतिकता के विकास किए बिना हम एक अच्छे समाज व राष्ट्र की कल्पना नहीं कर सकते । बिना नैतिक ज्ञान के जीवन अंधकारमय हो जाता है और यदि नैतिकता हममें नहीं है तो हम कभी विनम्र भी नहीं हो सकते । विद्यालयों में नीति शिक्षा की निरंतरता नितांत आवश्यक है ।