विधायक जिग्नेश मेवानी और नौ अन्य को पुलिस की अनुमति के बिना रैली करने के एक मामले में दोषी ठहराया

गुजरात के मेहसाणा की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने गुरुवार को वडगाम के विधायक जिग्नेश मेवानी और नौ अन्य को पुलिस की अनुमति के बिना रैली करने के एक मामले में दोषी ठहराया। कोर्ट ने उन्हें जुलाई 2017 में मेहसाणा शहर से रैली करने के लिए अवैध रूप से इकट्ठा होने के आपराधिक मामले में दोषी ठहराया। 

सभी दोषियों को तीन महीने की कैद और एक-एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। दोषी ठहराए गए आरोपियों में जिग्नेश मेवानी के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की नेता रेशमा पटेल भी शामिल हैं।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जे ए परमार की अदालत ने इस संबंध में फैसला देते हुए कहा कि “रैली करना अपराध नहीं है, लेकिन बिना अनुमति के रैली करना अपराध है।” अदालत ने यह भी कहा कि “अवज्ञा को कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।”

बता दें कि 12 जुलाई, 2017 को, ऊना में कुछ दलितों की सार्वजनिक पिटाई के एक वर्ष को चिह्नित करने के लिए मेवानी और उनके सहयोगियों ने मेहसाणा से पड़ोसी बनासकांठा जिले के धनेरा तक एक ‘आजादी कूच’ का नेतृत्व किया था। दलितों की पिटाई के मामले में राज्य में बड़े पैमाने पर आंदोलन हुआ था। 

मेवानी के सहयोगियों में से एक कौशिक परमार ने मेहसाणा के कार्यकारी मजिस्ट्रेट से राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के बैनर तले रैली की अनुमति मांगी थी, जो मेवाणी द्वारा स्थापित एक संगठन है और इसे शुरू में अनुमति दी गई थी। हालांकि बाद में प्राधिकरण ने इसे रद्द कर दिया, लेकिन आयोजकों ने फिर भी रैली निकाली।

10 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए फैसला सुनाते समय अदालत ने कहा कि आरोपी कार्यकारी मजिस्ट्रेट के आदेश को उपयुक्त उच्च अधिकारियों के समक्ष चुनौती दे सकते थे और फिर उचित अनुमति मिलने के बाद रैली कर सकते थे।

मेहसाणा पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 143 के तहत गैरकानूनी सभा का मामला दर्ज किया था क्योंकि उन्हें मार्च आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई थी। पुलिस ने मामले में 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

रैली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी शामिल थे, जो अब कांग्रेस का हिस्सा हैं। वह भी इस मामले के आरोपियों में से एक हैं। लेकिन चूंकि कन्हैया कुमार पिछले साल अप्रैल में आरोपियों के खिलाफ अदालत द्वारा आरोप तय करने के समय अनुपस्थित थे, इसलिए अदालत ने कन्हैया को अदालत के समक्ष पेश होने पर उनके खिलाफ अलग से सुनवाई करने का आदेश पारित किया था। अदालत ने कन्हैया कुमार और एक अन्य आरोपी को छोड़कर पिछले साल अप्रैल में मेवानी सहित 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया था। एक आरोपी की मौत हो चुकी है।