सेवा-जतन-सरोकार की भावना के साथ भूपेश सरकार के चालीस माह पूरे

भूपेश बघेल की पहचान अब सिर्फ दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा के विधायक के तौर पर ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य के करीब तीन करोड़ लोगों के विश्वास पात्र के रूप में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर होने लगी है।

छत्तीसगढ़ मूलतः किसानों व आदिवासियों का राज्य है। भूपेश बघेल ने किसानों से 2500 रूपए प्रति क्विंटल धान खरीदकर, धान का वाजिब दाम और अन्नदाता को सम्मान दिया। उन्होंने यहां रहने वाले हमारे प्रिय आदिवासी भाई-बहनों के दर्द को महसूस किया और उसे दूर करने के उपाय भी किए। बस्तर के लोहण्डीगुड़ा में देश के प्रमुख उद्योग घराने द्वारा उद्योग लगाने के नाम पर जमीन काबिज किए गए थे लेकिन न वहाँ उद्योग लगा और न ही 1700 से अधिक किसानों की 4200 एकड़ जमीन वापस हुई। 17 दिसम्बर 2018 को भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटे के भीतर ही अपने मंत्रिमंडल की अहम बैठक में निर्णय लिया कि इन पीड़ित आदिवासी किसानों को न्याय दिलाते हुए उनकी जमीन वापस की जाएगी। उनके निर्णय पर तत्काल अमल करते हुए आदिवासी किसानों की सारी जमीन वापस कर दी गई। इस ऐतिहासिक कदम से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छवि तेज-तर्रार और न्यायप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी। सिर्फ इतना ही नहीं बरसों से खरीफ फसल के लिए कर्ज लेकर किसानी करने वाले किसान भाई-बहनों के अल्पकालीन क़ृषि ऋण भी माफ कर दिया गया।

प्रदेश में एक तरफ किसान तो दूसरी ओर वनों पर आश्रित रहने वाले आदिवासियों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने के लिए तेदूपत्ता संग्रहण मजदूरी दर 2500 से बढ़ाकर 4000 रूपए किया। 7 से बढ़ाकर 65 लघुवनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने के निर्णय तथा किसानों के 15 बरसांे से लंबित 15 लाख किसानों के अल्पकालीन सिचाई कर माफ कर आदिवासियों और किसानों के चेहरे में मुस्कान बिखेरने में सफल हुए।

छत्तीसगढ़ी में एक कहावत है कि ‘एक दिन घुरवा के दिन घलो बहुरथे’। यह कहावत सच भी हो रहा है। श्री बघेल ने छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी के रूप में प्रचलित नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी को सुराजी गांव योजना के तहत नए सिरे से विकसित किया। छत्तीसगढ़ सरकार देश की ऐसी पहली राज्य सरकार है, जिसने दो रूपये किलो की दर से गोबर खरीद कर पशुधन पालकों व ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त करने की पहल की। गोधन न्याय योजना के तहत जहां रोजगार के नित-नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं, वहीं जैविक खेती को भी बढ़ावा मिल रहा है। गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों तथा महिला समूहों को 232 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। इस महत्वाकांक्षी योजना की प्रशंसा एक तरफ जहां लोकसभा में कृषि मामलों की स्थायी समिति ने सदन में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की सराहना करते हुए केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि किसानों से मवेशियों के गोबर खरीद की ऐसी ही योजना पूरे देश के लिए शुरु की जानी चाहिए। वहीं दूसरी ओर नीति आयोग ने भी सराहा है। योजना की सफलता का ही सुफल है कि आज देश के कई राज्य अब इसे अपनाने पर जोर दे रहे हैं।

सरकार बने महज दो-ढाई साल ही हुए थे कि छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश व विश्व में कोरोना जैसी बीमारी ने हाहाकार मचाकर रख दिया। ऐसे में प्रदेश के मुखिया व संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री बघेल रात-दिन एक कर मरीजों के लिए अस्पताल, डॉक्टर, पलंग, दवाई, स्टॉफ आदि की समुचित व्यवस्था में जुटे रहे। लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद तबकों के लिए राशन, श्रमिक भाइयों व ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार देने के लिए मुख्यमंत्री निवास में उच्च अधिकारियांेे के साथ लगातार बैठक लेते रहे। कोरोना से बचने के उपाय के साथ-साथ जनजागरण में भी जुटे रहे। छत्तीसगढ़ ही एक ऐसा राज्य है, जहाँ आर्थिक मंदी, बेअसर रही। इस तरह छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा पूरे देश में होने लगी और नतीजा यह निकला कि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 22 प्रतिशत से घटकर मात्र 0.6 प्रतिशत हो गया।

मुख्यमंत्री बघेल अपने भाषणों में अक्सर महात्मा गाँधी, पं. जवाहर लाल नेहरू, डॉ. भीमराव अम्बेडकर जैसे महापुरूषों के रास्ते पर चलकर ही छत्तीसगढ़ के गांवों व शहरों के विकास के रास्ते को मज़बूती के साथ आगे बढ़ाने का जिक्र करते हैं। उनकी योजनाओं में यह स्पष्ट दिखाई भी देता है। सार्वभौम पीडीएस के तहत हर परिवार के हर पेट को भरपूर भोजन देने का निर्णय हो, बिजली बिल हाफ के तहत 41 लाख उपभोक्ताओं के 2200 करोड़ रूपए की बचत हो, श्री धन्वंतरि जेनेरिक दवाखाना के तहत 159 मेडिकल स्टोर की स्थापना की गई, 50 प्रतिशत से अधिक सस्ती दवाएं मिलने के कारण 18 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिला और 17 करोड़ रूपए की बचत भी हुई है। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना के तहत 25 लाख लोगों को हाट बाजार में ही अस्पताल जैसी सुविधा मिली। मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण के तहत पंजीकृत भवन श्रमिकों की दो बेटियों को 20-20 हजार रूपए की मदद, कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को जनभागीदारी की मदद से जीत रहे हैं। छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे मलेरिया मुक्त अभियान पूरे देश में बेहतर रहा। इसके लिए केन्द्र सरकार ने राज्य को सम्मानित भी किया है। 2030 तक राज्य को मलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। फरवरी-2020 में बस्तर संभाग में मलेरिया मुक्त अभियान की शुरुआत हुई थी। बस्तर में 62.5 प्रतिशत कमी देखने को मिला है।

छत्तीसगढ़ महिला कोष में अब-तक 39 हजार समूहों के 9500 करोड़ रूपए से अधिक के ऋण वितरण किया गया है। महिला सशक्तीकरण की दिशा में किए गए प्रयासों की बदौलत ही वर्ष 2020-21 में लैंगिक समानता के लिए छत्तीसगढ़ राज्य को प्रथम पुरस्कार मिला। छत्तीसगढ़ी संस्कृति, परम्परा, आस्था को बढ़ावा देने जैसे निर्णय हो, तीज, हरेली, भक्तमाता कर्मा जयंती, छठ, छेरछेरा-पुन्नी व विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजनिक अवकाश, राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव, पौनी- पसारी जैसे पारंपरिक व्यवसाय को बढ़ावा, प्रतियोगी परीक्षा पीएससी, व्यापम, विशेष कर्मचारी चयन बोर्ड में बैठने वाले युआओं की परीक्षा शुल्क माफ, 12वीं तक निःशुल्क शिक्षा, बेटियों को स्नातक तक निःशुल्क पढ़ाने की व्यवस्था, गरीब बच्चों को भी स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल में भर्ती, इसी तरह हिंदी माध्यम में भी स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूल योजना, 32 शालाओं में अधोसंरचना विकास, नई उद्योग नीति के तहत 83 हजार 450 करोड़ रूपए निवेश, 1950 उद्योग स्थापित और 35 हजार 754 लोगों को रोजगार, ई-श्रेणी पंजीयन के तहत 5 हजार बेरोजगारों का पंजीयन और 226 करोड़ रूपए के काम आवंटित भी हुए हैं।

‘राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर योजना’ के तहत सालाना 7000 रूपए की मदद जैसे अभिनव निर्णय, राम वन गमन पर्यटन परिपथ के तहत कोरिया से सुकमा तक पर्यटन व अधोसरंचना विकास को बढ़ावा देने की पहल से माता कौशल्या की धरती चंदखुरी व माता शबरी की भूमि शिवरीनारायण स्थित मंदिरांे का जीर्णाेद्धार के साथ पर्यटन का बड़ा केंद्र स्थापित करने सेे मुख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रदेशवासियों का दिल जीत लिया।

अंतराराष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 मई तो छत्तीसगढ़ राज्य के लिये यादगार दिवस बन गया ज़ब मुख्यमंत्री के आहवान पर समूचे प्रदेशवासियों ने ‘बोरे बासी’ का सेवन किया। श्री बघेल ने श्रमिकों के कल्याण व श्रम का सम्मान करके एक ऐसा संदेश दिया कि पंच से लेकर समूचे मंत्रिमंडल और कोतवाल से लेकर मुख्य सचिव तक ने बोरे बासी का स्वाद लिया। इस तरह श्रम दिवस के दिन ‘मनखे-मनखे एक समान’ की अवधारणा को जन-जन तक पहुंचाने में सफल हुए और ‘मज़बूत मजदूर’ के पसीने के सम्मान को छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान से जोड़ दिया।

भूपेश बघेल की एक और खासियत है कि वे जो कहते हैं, उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं। तीन साल चार माह अठरा दिन की इस सरकार ने प्रदेश को 6 नए जिले देकर बरसों से उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की भावनाओं का ध्यान रखने के साथ, प्रशासन को आम जनता के नजदीक लाने का काम भी किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ज़ब बजट सत्र के दौरान विधानसभा में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की घोषणा की तो छत्तीसगढ़ के लाखों हाथांे ने उन्हें आशीष दिया तो वहीं बूढ़े माँ-बाप ने यह कहकर पड़ोसियों और अपने रिश्तेदारों को बताया ‘मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ह हमर बेटी-बेटा मन बर पुराना पेंशन लागू करके बुढ़ापा के चिंता ले मुक्त कर दिस, धन्यवाद भूपेश सरकार’। और इस तरह छत्तीसगढ़ के युवाओं के चहेते ‘कका’ ने साबित कर दिया कि ‘भूपेश हैं तो भरोसा है।’

सचमुच छत्तीसगढ़ सरकार लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर चल रही है। प्राचीन युग में राज्य को नैतिक कल्याण का साधन माना जाता था। रामायण काल में तो रामराज्य की अवधारणा इसी लोककल्याणकारी राज्य के सिद्धान्त पर आधारित थी। लोक कल्याणकारी राज्य से तात्पर्य किसी विशेष वर्ग का कल्याण न होकर सम्पूर्ण जनता का कल्याण होता है। इस तरह सम्पूर्ण जनता को केन्द्र मानकर जो राज्य कार्य करता है, वह लोक कल्याणकारी राज्य कहलाता है और इसी सिद्धांत पर छत्तीसगढ़ ‘जनकल्याणकारी सरकार’ की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।

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