दिल्ली में गुरुवार को सचिन पायलट की सोनिया गांधी से मुलाकात हुई तो एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दिल का दर्द जुबां पर आ गया. मुख्यमंत्री गहलोत ने फिर से दो साल पुराने सियासी संकट का जिक्र छेड़ दिया. देखा जाए तो इस तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अभी तक उस घटनाक्रम को भूल नहीं पाए हैं. इधर, दिल्ली में सचिन पायलट की सोनिया गांधी से मुलाक़ात हुई. उधर, चार घंटे बाद ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में एक बार फिर से उस सियासी बग़ावत की चर्चा फिर से छेड़ दी.
बीती रात सिविल सर्विस डे के अवसर पर जयपुर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर से कांग्रेस के उस सियासी घटनाक्रम का ज़िक्र किया. गहलोत ने कहा ये विधायकों का उनके प्रति विश्वास था कि वे होटल के बाहर 10 करोड़ का ऑफ़र छोड़कर 34 दिन तक उनके साथ बैठे रहे. सरकार को बचाए रखा. सीएम ने कहा कि अगर उस समय विधायकों ने साथ नहीं दिया होता तो आज राजस्थान में मुख्यमंत्री पद पर कोई दूसरा व्यक्ति होता.
मुख्यमंत्री ने यहां तक कहा कि राजस्थान की जनता का प्यार विश्वास है कि माली जाति से केवल एक ही विधायक होने के बावजूद भी तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं. वे राजस्थान में मुख्यमंत्री बनना लिखवा कर लाए हैं. दरअसल, हाल ही में कांग्रेस पार्टी में संगठनात्मक बदलाव को लेकर कई तरह की चर्चाओं का दौर जारी है. प्रशांत किशोर की एंट्री की कवायद के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने सोनिया गांधी से मुलाक़ात की है. इन सब के बीच राजस्थान में कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी चर्चाओं का बाज़ार गर्म है लेकिन ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का फिर से उसीसियासी घटनाक्रम को याद करना कई सारे संकेत और इशारे दे रहा है.
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