रामनवमी पर CM शिवराज सिंह ने दी प्रदेशवासियों को बधाई, अयोध्या की तर्ज पर 11 लाख दीपों से जगमगाएंगे ओरछा और चित्रकूट

भोपाल। अयोध्‍या नरेश भगवान श्रीराम का आज 10 अप्रैल को जन्‍मोत्‍सव मनाया जा रहा है. इसे रामनवमी भी कहा जाता है. मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में रामनवमी की धूम है. मध्य प्रदेश सरकार ने पर्व को भव्य रूप से मनाने का फैसला किया है. प्रदेश की अयोध्या के रूप में मान्य ओरछा और चित्रकूट में साढ़े 11 लाख दीप जलाए जाएंगे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस अवसर पर ओरछा और चित्रकूट जाएंगे और पर्व में भाग शमिल होंगे. रामनवमी पर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश वासियों को शुभकामनाएं दी हैं.

 रामनवमी के दिन चित्रकूट का गौरव दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था. ऐसे में यहां के आश्रम, मंदिर प्रांगण, तटों, शैक्षणिक संस्थानों तथा परिसरों को साढ़े 5 लाख दीपकों से जगमग किया जायेगा. गौरव दिवस को लेकर नगरवासियों में विशेष उल्लास और उत्साह देखने को मिल रहा है. दीपोत्सव कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी शामिल होंगी.

ओरछा में भी बेतवा नदी के तट पर शाम को दीपोत्सव होगा, जिसमें साढ़े पांच लाख दीपों को एक साथ प्रज्ज्वलित कर भगवान श्रीराम के प्रति आस्था प्रकट की जायेगी. श्रीरामराजा सरकार मंदिर परिसर में संस्कृति विभाग द्वारा भगवान श्रीराम के चरित आधारित श्रीरामराज्य कला दीर्घा तैयार की गई है, जिसका सीएम लोकार्पण करेंगे. भगवान श्रीराम पूरे देश में मात्र ओरछा में ही राजा के रूप में लोक पूज्य हैं.

चित्रकूट के उद्यमिता विद्यापीठ के विवेकानंद सभागार में आयोजित होने वाले गौरव दिवस के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री साधु-संतों का सम्मान करेंगे. साथ ही चित्रकूट और क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया जाएगा. चित्रकूट को आदर्श क्षेत्र बनाने के लिये विभिन्न संगठनों द्वारा संकल्प पत्र सीएम को दिये जाएंगे. मुख्यमंत्री जनकल्याणकारी योजनाओं के तहत हितग्राहियों को हितलाभ का वितरण करेंगे.

600 साल पुराना है ओरछा और अयोध्या का संबंध

 ओरछा को मध्य प्रदेश की अयोध्या कहा जाता है. क्योंकि यह एक ऐसी जगह है जहां भगवान राम के निवास की बात कही जाती है. निवाड़ी जिले में स्थित बेतवा नदी के तट पर बसे ऐतिहासिक शहर ओरछा की स्थापना 16 वीं शताब्दी में बुंदेला राजपूत प्रमुख रुद्र प्रताप ने की थी. ओरछा और अयोध्या का संबंध करीब 600 साल पुराना बताया जाता है. कहा जाता है कि संवत 1631 में चैत्र शुक्ल नवमी को महारानी कुंवरि की जिद पर जब भगवान राम ओरछा आए तो उन्होंने संत समाज को यह आश्वासन भी दिया था कि उनकी राजधानी दोनों नगरों में रहेगी. इसलिए दुनियाभर के भक्त ओरछा में राजा राम के रूप में भगवान राम की पूजा करते हैं.

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