चैत्र नवरात्र 2022 : चतुर्थी से नवमी तक मां दुर्गा को लगाएं अलग-अलग भोग, जानिए किस दिन लगाएं कौन-सा भोग

रायपुर (5 अप्रैल (वेदांत समाचार)  नवरात्र को तीन दिन बीत चुके हैं, देवी मंदिरों में जोत दर्शन करने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। राजधानी से अनेक श्रद्धालु डोंगरगढ़ स्थित मां बमलेश्वरी का दर्शन करने के लिए पैदल यात्रा पर रवाना हुए हैं। मंगलवार को देवी के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाएगी। नवरात्र के नौ दिनों में माता को अलग-अलग मीठा अर्पित करने की मान्यता है। श्रद्धालु प्रतिदिन अलग-अलग व्यंजनों का भोग लगा रहे हैं।जेल रोड स्थित चामुंडा देवी मंदिर के पुजारी पं.संजय जोशी के अनुसार देवी माता को प्रतिदिन अलग-अलग भोग अर्पित करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। देवी पुराण में उल्लेखित पूजा नियमों के आधार पर मंदिर में तिथि अनुसार भोग लगाया जा रहा है।

पुजारी ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन 2 अप्रैल को प्रतिपदा तिथि पर गोमाता का शुद्ध घी और सफेद मिठाई का भोग लगाया गया था। दूसरे दिन 3 अप्रैल को शक्कर का भोग लगाया। तीसरे दिन 4 अप्रैल को दूध की मिठाई, खीर का भोग अर्पित किया गया। अब शेष तिथियों पर भी मान्यता अनुसार भोग लगेगा।

चौथे दिन देवी कुष्मांडा पूजा में भोगचतुर्थी तिथि पर मंगलवार को मां कुष्मांडा की पूजा करके मालपुआ का भोग लगाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि मालपुआ का भोग लगाने से बुद्धि का विकास होता है।पांचवे दिन देवी स्कंदमाता को केला भोगनवरात्र की पंचमी तिथि पर बुधवार को मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाएगी। माता के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता को केला अथवा केले से बनाए गए व्यंजनों का भोग लगाएंगे। ऐसी मान्यता है कि इससे शरीर स्वस्थ रहता है।

छठे स्वरूप कात्यायनी को शहदनवरात्र की षष्ठी तिथि पर गुरुवार को माता के छठे स्वरूप कात्यायनी की पूजा की जाएगी। मां कात्यायनी को शहर का भोग अर्पित किया जाएगा। शहद का भोग अर्पित करने से आकर्षण बढ़ता है।सप्तम स्वरूप कालरात्रि को गुड़नवरात्र के सातवें दिन देवी मां के सप्तम स्वरूप कालरात्रि की पूजा करने का विधान है। पूजा-अर्चना के दौरान गुड़ अथवा गुड़ से बनी मिठाई अर्पित करने से एकाएक आने वाली विपदा से मुक्ति मिलती है

अष्टमी-नवमी पर श्रीफल का भोगमाता के आठवें स्वरूप महागौरी और नवम स्वरूप सिद्धिदात्री को श्रीफल का भोग अर्पित करना चाहिए। कन्या पूजन करके श्रीफल अवश्य देना चाहिए। इससे सभी तरह के संकट का समाधान होता है।