जशपुर जिले में एक ऐसा शख्स है जो भोजन के अलावा पत्थर भी खाता है,

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक ऐसा शख्स है जो भोजन के अलावा पत्थर भी खाता है। हैरानी की बात यह है कि सालों से पत्थर खाने के बाद भी इस शख्स को अब तक स्वास्थ्य से जुड़ी कोई परेशानी नहीं हुई।छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक ऐसा शख्स है जो भोजन के अलावा पत्थर भी खाता है। हैरानी की बात यह है कि सालों से पत्थर खाने के बाद भी इस शख्स को अब तक स्वास्थ्य से जुड़ी कोई परेशानी नहीं हुई। वह इसे दिव्य शक्ति बताता है। कई लोग उसके पास अपनी समस्याएं लेकर आते हैं और वह पत्थर खाकर नि:शुल्क उनके कष्ट दूर करने का दावा भी करता है। 

जशपुर जिले के बगीचा ब्लॉक अंतर्गत छीपाताला गांव का निवासी 51 वर्षीय संतोष लकड़ा पिछले 20 साल से पत्थर खा रहा है। आम इंसान यदि पत्थर खा जाए तो उसे बीमारी होने का खतरा रहता है, लेकिन संतोष को अब तक कोई परेशानी नहीं हुई है। उनका दावा है कि वे अब तक हजारों पत्थर खा चुके हैं। पत्थर खाने के बाद भी उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी नहीं हुई है। संतोष इसे ईश्वरीय शक्ति बताता है। उनका दावा है कि वे ईश्वरीय प्रार्थना से लोगों की परेशानी दूर करते हैं। 

घुटने पर खुरदुरे पत्थर रखकर ईश्वर से प्रार्थना 
ईसाई धर्म को मानते वाले संतोष ने घर के एक कमरे में प्रभु यीशु की कई प्रतिमाएं और फोटो लगा रखी हैं। उसी कमरे में बैठकर संतोष प्रार्थना के माध्यम से लोगो की तकलीफें दूर करने का दावा करते हैं। संतोष प्रार्थना के दौरान घुटनों के बल बैठते हैं और दोनों घुटनों के नीचे खुरदुरे पत्थरों को रखकर ईश्वर की आराधना करते हैं। प्रार्थना के बाद संतोष लोगों के दुख दर्द को अपने अंदर ग्रहण करने का दावा करते हुए पत्थरों के टुकड़ों को मुंह से निगल जाते हैं। ईसाई धर्म में आस्था रखने वाले संतोष सभी देवी-देवताओं को मानते हैं।

पहुंचने वाले लोगों के सामने ही खाते हैं पत्थर 
शुक्रवार को लोग उनके पास अपनी समस्याएं लेकर आते हैं। वे किसी से कोई शुल्क नहीं लेते। उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने 2002 से पत्थर खाना शुरू किया था। उन्हें ईश्वरीय शक्ति मिली है। भगवान का वरदान है, जिसकी वजह से उन्हें पत्थर खाने से कोई नुकसान नहीं होता। जिस व्यक्ति का कष्ट दूर करना होता है, उसके सामने ही वे कष्ट के नाम का 4-5 पत्थर खाते हैं। फिर उस व्यक्ति का हाथ पकडक़र देवी-देवताओं का आह्वान कर दुख दूर करने की कामना करते हैं।  ( मनोज कुमार)