जंगल में आग लगने से वन्यप्राणी बस्तियों की ओर भाग रहे

बालाघाट 1 अप्रैल (वेदांत समाचार) जंगलों में महुआ बीनने के साथ ही आग लगने का सिलसिला शुरू हो जाता है। लांजी के रिसेवाड़ा सर्किल में एक सप्ताह से जंगल में आग लगी है। इससे वन्यप्राणी जंगल छोड़ बस्तियों की ओर भागकर आ रहे है। रोज तेंदुआ, चीतल, जंगली सूअर के गांव में आने से ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है और लोगों ने खेतों में महुआ बीनने जाना बंद कर दिया है।इतने दिन के भीतर तेंदुए ने एक बछिया पर हमला कर घायल कर दिया। दरअसल, बालाघाट जिले के अधिकतर जंगल कारीडोर से जुड़े हुए है। जिसके चलते वन्यप्राणी अधिक संख्या में है। अभी के हालात में जंगल में आग लगने से वन्यप्राणी बाहर निकल आ रहे और गांवों में प्रवेश कर रहे है।जिससे ग्रामीणों के खतरा मंडरा रहा है।

महुआ बीनने वाले सूखे पत्ते में लगा देते हैं आगः बालाघाट में उत्तर सामान्य, उत्तर उत्पादन, दक्षिण सामान्य, दक्षिण उत्पादन में 17 रेंज है, इनमें से 375 बीट है। इतने बीटों में महुआ के पेड़ होने से ग्रामीण महुआ बीनने जाते है।जिससे सूखे पत्तों में आग लगा दिए जाने से यह आग पूरे जंगल में फैलने लगती है।ऐसा ही रिसेवाड़ा टिमकीटोला के जंगल में पूरे सर्किल में एक सप्ताह से आग लगी हुई है।जिसमें पूरा जंगल आग से जल रहा है और वन्यप्राणी गांव में प्रवेश कर रहे है और चना, गेहूं की फसल को चट करने लगे है।ग्रामीणों की मांग है कि जंगल से आग बुझाई जाए ताकि वन्यप्राणी गांव में न आए।

वन्यप्राणी विशेषज्ञ की रायः डा. आशीष वैद्य के अनुसार जंगलों में आग लगने पर वन्य प्राणियों के झुलसने का खतरा रहता है। धुआ में कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा ज्यादा रहती है । फेफड़े में प्रवेश करने पर शरीर में आक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है और वन्य प्राणियों की मौत होने की संभावना रहती है। शाकाहारी वन्यप्राणी का चारा खत्म हो जाता है। जंगल में विलुप्त होने की कगार पर रहने वाले वन्यप्राणी जैसे पेंगुलियन, सर्प, गिलहरी, उड़न गिलहरी, नेवला जो ज्यादा भाग नहीं सकते उनकी मौत होने की आशंका बनी रहती है। छोटे मांसाहारी पशु का चारा खत्म हो जाता है। बिलों में रहने वाले जीव तापमान बढ़ने मर जाते है। पेड़ जलता है जिसकी राक नदी नालों में जाते है तो पानी में आक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। इससे जलीय जीव प्रभावित होते है ऐसा पानी पीने पर वन्य प्राणियों की मौत हो सकती है। जंगल में आग लगने से वन्य प्राणियों के शरीर में पानी की मात्रा कम होने लगती है।जमीन में नमी खत्म हो जाती है। जिससे वहां पर दूसरा नया पौधा नहीं उगता है।