रायपुर 1 अप्रैल (वेदांत समाचार) छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया। एक संविदा शिक्षिका ने जिस दिन अपने बच्चे को जन्म दिया, उसी दिन वह सरकारी स्कूल में भी पढ़ाती रहीं। मामले का पर्दाफाश तब हुआ, जब शिक्षिका को नौकरी से निकाला गया और उसने राज्य महिला आयोग में इसकी शिकायत की। शिक्षिका ने आयोग की अध्यक्ष डा. किरणमयी नायक के सामने न्याय की गुहार लगाते हुए आवेदन किया था।
दरअसल, आवेदिका का प्रसव दुर्ग में हुआ था और इसी दिन उसने खुद को बस्तर के तोकापाल में खुद को ड्यूटी करते हुए दिखाया था। तोकापाल में उपस्थिति पंजी पर हस्ताक्षर किया है। इस गंभीर अनियमितता को ध्यान में रखते हुए विभागीय उच्च अधिकारी ने आवेदिका को कार्यमुक्त कर दिया है। इस संबंध में आवेदिका चाहें तो संयुक्त संचालक के समक्ष अपील प्रस्तुत कर सकती हैं। यह प्रकरण आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर हो जाने से नस्तीबद्ध किया गया। आरोप है कि शिक्षिका पढ़ाने नहीं जाती थीं। उनकी जगह उनके पति हस्ताक्षर करते थे।
ए शिक्षा सत्र के तहत एक अप्रैल से स्कूल खुलेंगे। कोरोना संक्रमण के कारण करीब दो साल तक यह स्थिति नहीं बन पाई थी।
स्कूल शिक्षा विभाग ने भीषण गर्मी को देखते हुए स्कूलों में शिक्षकों और विद्यार्थियों की सुरक्षा के मद्देनजर सख्त दिशा-निर्देश जारी किया है। इसमें कहा है कि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे जोखिम में न पड़ें, इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। गर्म हवाओं, लू लगने के सामान्य लक्षण के रूप में उल्टी या दस्त या दोनों का होना पाए जाने, अत्यधिक प्यास, तेज बुखार या कभी-कभी मूर्छा भी आ सकती है। इनसे पूर्व तैयारी, लोगों में जागरूकता और बचाव के उपायों को जानकर ही सुरक्षित रहा जा सकता है। बता दें कि प्रदेश में निजी-सरकारी समेत 56 हजार स्कूलों में 60 लाख बच्चे अध्ययनरत हैं।
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