स्कूलों का हाल- बेहाल, धूप में पेड़ के नीचे बैठकर बच्चे भविष्य गढ़ने पर मजबूर 

1 अप्रैल (वेदांत समाचार) गरियाबंद. बच्चों को भारत का भविष्य कहा जाता है, लेकिन भारत का भविष्य स्कूल भवन की कमी की वजह से पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने पर मजबूर है. 38 बच्चों की पाठशाला महीनों से पेड़ के नीचे लगती है. शिक्षकों का कहना है कि, विकल्प नहीं होने के कारण निर्देश का पालन कैसे करेंगे. डीईओ ने मरम्मत के लिए पैसे नहीं दिए अब कह रहे सस्पेंड करेंगे.

बता दें कि, बढ़ते तापमान को देखते हुए सरकार ने बुधवार को एडवाजरी जारी कर समय मे तब्दीली करने के अलावा किसी भी स्कूल का संचालन पेड़ के नीचे, टिन या सीमेंट सीट के नीचे नहीं लगाने का निर्देश जारी किया था. पर लाटापारा पंचायत के आश्रित ग्राम काडपारा के शिक्षक इस आदेश का पालन नहीं कर पा रहे हैं.

वहीं प्रधान पाठक लखन कश्यप ने बताया कि भवन काफ़ी जर्जर है, रोजाना स्लैब से पपडिया गिरती है. दुर्घटना से बचने शिक्षा समिति व पालकों ने कक्षा का संचालन पेड़ के नीचे लगाने का निर्णय लिया है.

पिछले सत्र से स्कूल का संचालन पेड़ के नीचे चल रहा है. शिक्षा समिति के अध्यक्ष डमरूधर ने कहा कि भवन मरम्मत की मांग को लेकर 20 बार से ज्यादा पत्राचार कर चुके हैं. समिति का प्रस्ताव पत्र व दिए गए आवेदनों की पावती दिखाते हुए कहा कि जनपद बीइओ के दफ्तर से लेकर कलेक्टर तक मांग पत्र सौंपा गया पर किसी ने सुध नहीं ली. 4 माह पहले ही शिक्षा विभाग ने 50 से भी ज्यादा जर्जर स्कूलों का मरम्मत करवाने जिलापंचायत को रुपए दिए थे, पर उस लिस्ट में भी देवभोग के काडपारा का नाम नहीं है.

सरपंच योगेंद्र यदु ने कहा कि अन्य दूसरे मदों से सहायता नहीं मिली. इसलिए भवन मरम्मत के लिए 15वें वित्त की राशि का उपयोग करने प्रस्ताव पारित किया गया है. प्राक्कलन तैयार कर लिया गया है. जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा.

करमन खटकर डीईओ ने कहा कुछ माह पहले पेड़ के नीचे कक्षा लगने की जानकारी सामने आई थी, तब बीईओ को स्कूल का संचालन किसी अन्य भवन में करवाने कहा गया था.अगर अब भी पेड़ के नीचे स्कूल लगती होगी तो प्रधान पाठक को निलंबित करेंगे.

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