पुरानी पेंशन स्‍कीम पर बुरे फंसे गए सीएम शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश में तेज हो रहा आंदोलन राज्यों में प्रर्दशन

पुरानी पेंशन बहाली को लेकर देश के कई राज्यों में प्रर्दशन होते रहते हैं। मध्यप्रदेश में यह आंदोलन काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। अगले साल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस कारण ये प्रदर्शन वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए बड़ा सिर दर्द भी साबित हो सकता है। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों ने सरकार से सीधा कहा है कि कर्मचारी सरकार बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं और उनकी मांगों को माना जाए।

मध्यप्रदेश के खरगोन और राजगढ़ में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर प्रदर्शन काफी तेज हो चला है। वहीं इंदौर में भी 2 दिन पहले पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया था। मध्यप्रदेश में संयुक्त कर्मचारी मोर्चा पुरानी पेंशन बहाली को लेकर प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहा है। इंदौर में कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली के समर्थन में एक रैली निकाली थी और मुख्यमंत्री के नाम जिला अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा था।

एक समाचार पोर्टल के अनुसार खरगोन में प्रदर्शन को संबोधित करते हुए एक कर्मचारी नेता ने कहा कि, “जब-जब कर्मचारी सड़क पर आए हैं, सरकारें बदल गई हैं। शिवराज सिंह जी इस मुगालते में ना रहे कि वह फिर से जीत जाएंगे। आप कांग्रेस के वोट के कारण सत्ता में हो और कर्मचारी हर विधानसभा में 30 से 40 हजार तक वोट प्रभावित कर सकता है। आप सभी कर्मचारियों से मैं कहता हूं कि आप सब अपने घर में एक-एक पोस्टर लगा ले और उस पर लिख ले कि जब तक हमारी पुरानी पेंशन नहीं लागू होगी, तब तक हम उसी पार्टी को वोट देंगे जो हमारी पेंशन को लागू करने की बात करेगा

इससे पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने पुरानी पेंशन बहाली का ऐलान कर दिया है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बजट पेश करने के दौरान पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली का ऐलान किया था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बजट पेश करने के दौरान कहा था कि 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त हुए सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाती है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी पुरानी पेंशन बहाली एक मुद्दा बना था। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने घोषणापत्र में भी इसे शामिल किया था। इसका असर भी चुनाव में दिखा और पोस्टल बैलट के वोटों में पहले के मुकाबले सपा के पक्ष में अधिक मतदान हुआ था। कई सीटों पर पोस्टल बैलट ने जीत-हार को भी तय किया था।