सेमरसोत अभयारण्य में पेड़ों की अवैध कटाई के विरोध में कल पदयात्रा

अंबिकापुर।24 मार्च (वेदांत समाचार) बलरामपुर जिले के सेमरसोत अभयारण्य में पेड़ों की अवैध कटाई की जा रही है।बांध निर्माण की आड़ में साल के बड़े-बड़े वृक्षों की अवैध कटाई किए जाने संबंधी प्रमाणित शिकायत किए जाने के बावजूद वन अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई नहीं किए जाने के विरोध में अभयारण्य क्षेत्र के ग्रामीण शुक्रवार को पदयात्रा करेंगे। सेमरसोत अभयारण्य बचाव अभियान के तहत पदयात्रा जिला मुख्यालय बलरामपुर से सुबह दस बजे आरंभ होगी। सांसद प्रतिनिधि धीरज सिंह देव के नेतृत्व में पदयात्री पास्ता, राजपुर, बरियों होते 90 किलोमीटर का सफर तय कर अंबिकापुर पहुंचेंगे। यहां वन संरक्षक वन्य प्राणी कार्यालय का घेराव किया जाएगा।मांगों के अनुरूप कर्मचारियों पर जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई नहीं किए जाने की स्थिति में कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन आंदोलन किया जाएगा।

बड़ी संख्या में ग्रामीण इस पदयात्रा में शामिल होने के लिए तैयार बैठे है।सेमरसोत अभयारण्य क्षेत्र में एक दर्जन से भी अधिक गांव है। जंगल के नजदीक गांव होने के बावजूद उन्हें इसका कोई लाभ नहीं मिल पाता। अभयारण्य क्षेत्र में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य भी नहीं हो पाता। आजीविका संवर्धन से जुडी कोई भी गतिविधि अभयारण्य क्षेत्र में संचालित नहीं हो पाने के कारण गांव वाले पहले से ही व्यथित हैं। उनका कहना है कि यदि अभयारण क्षेत्र से कोई जरूरत के लिए जलाऊ लकड़ी या दातुन और पत्ता तोड़ कर लाता है तो सूचना मिलते ही ऐसे लोगों के खिलाफ अभयारण्य क्षेत्र में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी कार्रवाई करते हैं लेकिन जब विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों ने सैकड़ों हरे भरे पेड़ों को काट दिया है और उसके प्रमाण भी मौजूद हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। पूर्व में इस मामले की शिकायत बलरामपुर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, वन मंडल अधिकारी से भी की गई थी। जिला स्तर से किसी प्रकार की जांच नहीं होने से व्यथित लोगों ने अंबिकापुर आकर वन संरक्षक वन्य प्राणी से शिकायत कर पूरे मामले की जांच कराने का आग्रह किया था। अभी तक वन विभाग की ओर से कार्रवाई तो दूर कोई जांच भी नहीं की गई है।

सांसद प्रतिनिधि धीरज सिंह देव का सीधा आरोप है कि अभयारण्य क्षेत्र में पदस्थ एक वन कर्मचारी झारखंड के रहने वाले हैं। उनके द्वारा पेड़ों की अवैध कटाई कर बेशकीमती लकड़ियों को निजी उपयोग के लिए झारखंड भी ले जाया गया है, इसके प्रमाण भी उपलब्ध हैं। बड़े-बड़े पेड़ों को काट दिया गया है। इसकी लकड़ी खपा दी गई है। इन अवैध गतिविधियों की तस्वीर और वीडियो भी उन लोगों के पास उपलब्ध है जिसे उच्च अधिकारियों को भी प्रेषित किया जा चुका है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं होना दुर्भाग्यजनक है। यही वजह है कि अभयारण्य को बचाने और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर वे बलरामपुर से अंबिकापुर तक की पदयात्रा निकालने बाध्य हो रहे हैं इसमें अभयारण्य क्षेत्र के गांव में रहने वाले आदिवासी भी शामिल होंगे।