केंद्रीय पुलिस बल में सिर्फ 3.68 फीसदी महिलाएं, संसदीय समिति ने गृह मंत्रालय से ठोस कदम उठाने को कहा

एक संसदीय समिति ने इस बात पर निराशा जताई है कि सीआरपीएफ और बीएसएफ जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं की संख्या केवल 3.68 प्रतिशत है। समिति ने गृह मंत्रालय से केंद्रीय पुलिस संगठनों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा है।

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता में गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने देखा कि 2016 में केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ और सीआईएसएफ में कांस्टेबल स्तर पर 33 प्रतिशत पदों को महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया था। सीमा सुरक्षा बलों- बीएसएफ, एसएसबी और आईटीबीपी में कांस्टेबल स्तर पर 14-15 प्रतिशत पद भरे जाने थे।

समिति ने दिए ये सुझाव


समिति ने कहा कि वह इस बात से निराश है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की कुल संख्या में महिलाओं की संख्या केवल 3.68 प्रतिशत है। समिति ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय को सीएपीएफ में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। इसकी रिपोर्ट सोमवार को राज्यसभा को सौंपी गई। पैनल ने कहा कि महिलाओं के लिए चरणबद्ध भर्ती अभियान तेजी से चलाया जा सकता है, खासकर सीआईएसएफ और सीआरपीएफ में।

समिति ने आगे सिफारिश की कि सीमा चौकियों में अलग से व्यवस्था करके एक अनुकूल माहौल बनाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि महिलाओं को सुरक्षा बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जा सके। समिति ने कहा कि 2022-23 बजट में सभी 11 मांगों को शामिल करते हुए गृह मंत्रालय को 1,85,776.55 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जो 2021-22 के मुकाबले 1,66,546.94 करोड़ रुपये के मुकाबले 11.54 प्रतिशत अधिक है।

पैनल ने कहा कि विधायिका के बिना केंद्र शासित प्रदेशों ने जनवरी 2022 तक बीई 2021-22 में उन्हें किए गए कुल आवंटन का लगभग 66.83 प्रतिशत उपयोग किया है। समिति ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय को आगामी वर्ष में लद्दाख द्वारा निधि के उपयोग की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए और केंद्र शासित प्रदेश में धन के उपयोग को बढ़ाने के लिए जरूरी सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।