नई दिल्ली । रूस-यूक्रेन युद्ध की कीमत अब भारत के आम लोगों को भी चुकाना पड़ेगी। खबर यह है कि कच्चे तेल का भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद भारत में भी सरकार और सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल तथा डीजल के दाम बढ़ाने पर मंथन शुरू कर दिया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार की ओर से तेल कंपनियों को 5 से 6 रुपए प्रति लीटर दाम बढ़ाने की अनुमति दी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की वोटिंग खत्म हो चुकी है और सरकार ऐसा कोई फैसला लेती है तो चुनावी लिहाज से उसे कोई नुकसान नहीं होगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि 12 रुपए प्रति लीटर तक दाम बढ़ाए जाने की जरूरत है, लेकिन सरकार एक दम दाम बढ़ाने के बजाए टुकड़ों में कीमत बढ़ाएगी। बता दें, देश में 4 नवंबर के बाद पेट्रोल की कीमतें नहीं बढ़ाई गई हैं। तब कच्चे तेल 83 डॉलर प्रति बैरल के निशान को पार करने के बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने राहत देने के लिए करों में कटौती की थी।
कच्चे तेल के दामों के रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंचने का असर दुनियाभर के शेयर बाजार पर दिखाई दिया। चौतरफा बिकवाली के चलते सोमवार को सेंसेक्स में जहां 1,491 अंक की गिरावट दर्ज की गई वहीं निफ्टी भी 16000 से नीचे पर बंद हुआ। विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपये के सर्वाधिक निचले स्तर पर पहुंचने और विदेशी फंड की बिकवाली ने बाजार को और नीचे घसीटने का काम किया। एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) ने बाजार में बिकवाली जारी रखी और शुक्रवार को 7,631.02 करोड़ के शेयरों की बिक्री की। भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का असर निवेशकों की संपत्ति पर भी दिखाई दिया है।
चार कारोबारी दिनों में निवेशकों की संपत्ति 11.28 लाख करोड़ रुपये कम हुई है। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के मार्केट कैप की बात करें तो यह 11,28,214.05 करोड़ रुपये गिरकर 2,41,10,831.04 करोड़ रुपये पर आ गई है।
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