रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित ‘‘नारी शक्ति को सलाम’’ कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की 36 महिलाओं को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया। कार्यक्रम में समाज सेवा, मीडिया, स्वास्थ्य, फैशन डिजाइनिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य हेतु महिलाओं को सम्मान स्वरूप स्मृति चिन्ह किया गया।
राज्यपाल उइके ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि अब बेटियां बेड़ियां तोड़ रही हैं, रूढ़ियों को अपने हौसलों से हरा रही है। बेटियां फाइटर प्लेन उड़ाकर आसमान को चूम रही है, अंतरिक्ष तक का सफर तय कर चुकी हैं। महिलाएं हर एक क्षेत्र में सफलता के नए आयाम गढ़ रही है। लेकिन दकियानूसी सोच व पुरुषवादी मानसिकता आज भी महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकती है। जरूरत है इस मानसिकता को बदलने की ताकि महिलाओं को बराबरी का मौका मिल सके। हमें पुरुष अथवा महिला प्रधान नहीं अपितु समान अवसरों वाला समाज चाहिए। आज इस सदन में सम्मानित हुई महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर न केवल खुद सक्षम हुई है बल्कि इनकी सफलता से हजारों महिलाओं को प्रोत्साहन भी मिलेगा।
आज सभी महिलाओं से कहना चाहूंगी कि वे अपने अधिकारों को जानें, शिक्षित हों, धैर्य रखें, उन्हें परिश्रम की सफलता निश्चित ही मिलेगी। मेरा मानना है कि महिलाओं में पुरूषों से अधिक क्षमता है और समाज में प्रचलित अनेक मिथकों को तोड़कर उन्होंने यह साबित कर दिया है। महिला उत्थान के लिए हम सबको मिलकर पहल करनी है तथा इसमें अभिभावकों की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण होगी। बच्चों के लालन-पालन के दौरान ही हमें बेटे-बेटियों में विभेद करने वाले किसी भी कार्य या विचारों को समर्थन नहीं देना हैं। साथ ही प्रारंभिक शिक्षा में भी ऐसे तथ्यों को शामिल करना चाहिए, जो लैंगिक समानता जैसे विषयों को सहजता से समझा सके ताकि बच्चों की परवरिश लैंगिक भेदभाव की भावना से परे हो। साथ ही हम महिलाएं कितनी भी सफल क्यों न हो जाएं, हमें अपने मातृत्व, आचार-विचार, संस्कार तथा मानवीय संवेदना को बनाए रखना हैं।
राज्यपाल ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि आज हम सभी संकल्पित हों कि हम अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे ताकि अपनी भावी पीढ़ी और बेटियों को स्वच्छ, सुंदर और सुरक्षित समाज दे सकें।संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई देते हुए कहा कि महिलाओं के सम्मान का कोई विशेष दिन नहीं बल्कि प्रतिदिन उनका सम्मान होना चाहिए। छत्तीसगढ़ के शहर से लेकर गांव तक की महिलाओं ने प्रदेश को एक नई पहचान दिलाई है। महिलाओं को अब हर एक क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति में रखा जा रहा है। हम सदैव उन्हें प्रोत्साहित करने का कार्य करें।
हिमांशु द्विवेदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आधी आबादी अर्थात महिलाओं को समान अवसर नहीं मिले हैं तथा उन्हें अधिकारों से वंचित रखा गया है। इन्हीं कारणों से महिला दिवस में हम इन विषयों पर चर्चा कर रहे हैं। समाज में देवी की संज्ञा से इतर महिलाओं को व्यावहारिक जीवन में अनेक संघर्ष करने पड़ते हैं। महिलाओं को वास्तविक सम्मान तब मिलेगा जब पुरूष अपनी मानसिकता बदले तथा इस मानसिकता को बदलने से पुरूषों का जीवन भी सुंदर हो जाएगा। इस अवसर पर राज्यपाल उइके सहित अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदाय कर सम्मानित किया गया।
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