कोरबा । गेवरा खदान में जमीन अधिग्रहण होने के बाद भी नौकरी, मुआवजा व पुनर्वास नहीं मिलने से नाराज ग्रामीण ने खदान का बंद रखा। उसका कहना है कि जमीन में मिट्टी निकासी होने के बाद प्रबंधन उसे नौकरी व मुआवजा नहीं देगी। तीसरे दिन भी खदान में मिट्टी निकासी का काम बंद रहा।
साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की गेवरा खदान में ग्राम रलिया निवासी प्रदीप राठौर पिता स्व भैयाराम राठौर के भूमि को वर्ष 2004 व 2009 के दौरान कुल तीन एकड़ आठ डिसमिल जमीन को अधिग्रहण कर लिया गया, पर अभी तक न तो नौकरी दी गई और नहीं ना ही मुआवजा। इससे प्रभावित ग्रामीण काफी परेशान रहा और एसईसीएल कार्यालय का चक्कर काटते रहा। इस बीच प्रबंधन ने बिना सूचना दिए मिट्टी खुदाई का काम चालू कर दिया। इसकी जानकारी मिलते ही भू-स्वामी प्रदीप राठौर स्थल पर पहुंचा और मिट्टी खुदाई कर रही सावेल मशीन समेत अन्य भारी वाहनों को बंद कराया। उसका कहना है कि एसईसीएल उसकी जमीन के समीप पहुंच चुका है,
और कभी भी खोदाई का काम कर सकता है। ऐसी स्थिति में उसे न तो मुआवजा मिलेगा और नहीं पुनर्वास व नौकरी। प्रबंधन पहले उसकी समस्या का निदान करे, उसके बाद काम शुरू कर दिया जाएगा। राठौर अपने खेत के समीप बैठ गया, ताकि काम आगे न बढ सके। उत्खनन काम बंद होने से एसईसीएल की ओर से कोई भी सक्षम अधिकारी वार्ता करने सामने नहीं आ रहा। बताया जा रहा है कि एसईसीएल प्रबंधन ने अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की है। इससे अन्य ग्रामीणों में भी रोष बढ़ते जा रहा है। शीघ्र ही समस्या का निदान नहीं किया जाता है तो गेवरा परियोजना का संपूर्ण काम बंद कराने ग्रामीण सामने आ जाएंगे। राठौर का कहना है कि जब तक मुआवजा व पात्र तीन लोगों को नौकरी नहीं दिया जाता है, तब तक रलिया क्षेत्र में विस्तार कार्य को रोका जाएगा और आने वाले समय में पूरे ग्रामीणों के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
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