मेडिकल कालेज के संसाधनों का आकलन करने पहुंची एनएमसी की टीम


कोरबा । एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमीशन) दिल्ली की टीम एक बार फिर मेडिकल कालेज के निरीक्षण पर पहुंची है। तीन सदस्यीय टीम ने पहले दिन जिला अस्पताल और झगरहा स्थित आईटी कालेज भवन के उस हिस्से का निरीक्षण किया जिसे मेडिकल कालेज कालेज के लिए चयनित किया गया। चिकित्सा सुविधा से जुड़े अलग- अलग विभागों का जायजा लेते हुए यहां पदस्थ कर्मचारियों से भी चर्चा की। सदस्य शनिवार को भी अस्पताल के संसाधनों का निरीक्षण करेंगे। टीम के रिपोर्ट के आधार पर मेडिकल कालेज का संचालन तय होगा।

यहां पहुंची केंद्र सरकार की एनएमसी टीम में अलीगढ़ विश्वविद्यालय से डा. योगेश गुप्ता, कानपुर विश्वविद्यालय से अमरेश गुप्ता के अलावा बिहार के चिकित्सा उच्च शिक्षण संस्थान से मनीष कुमार शामिल हैं। बताना हागा कि केंद्र सरकार की अनुमति के बावजूद जिले में अभी मेडिकल कालेज का संचालन शुरू नहीं हो सका है। एमबीबीएस की कक्षा शुरू करने के लिए मेडिकल कालेज ने बीते वर्ष भी एनएमसी को आवेदन किया था। दिल्ली की टीम इससे पहले भी पहुंची थी। तात्कालिक समय में टीम द्वारा कालेज के लिए जमीन, इलाज के और अध्यापन के लिए चिकित्सकों की टीम, आपरेशन थियेटर की सुविधा जैसे संसाधनों का जायजा लिया गया। अधूरी तैयारी पाए जाने के कारण एनमसी ने कक्षा संचालन की अनुमति नहीं। नवंबर माह से नए बेच की शुरूआत होनी है।

इसे ध्यान में रखते हुए मेडिकल कालेज ने एनमएमसी को संसाधनों का निरीक्षण करने के लिए आवेदन किया था। बताना होगा कि भारत सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के तहत ऐसे जिलों में मेडिकल कालेज स्थापित किए जाने की अनुमति दी थी, जहां सरकारी या निजी मेडिकल कालेज नहीं हैं। इस दिशा में वंचित, पिछड़े और आकांक्षी जिलों को प्राथमिकता दी गई है। कोरबा भी आकांक्षी जिलों में शामिल है। इस वजह से योजना के तहत तीन चरणों में देश भर में 157 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृति दी गई है।

इसमें 39 कालेज आकांक्षी जिलों में स्थापित किए जा रहे हैं। इसके तहत कोरबा में मेडिकल कालेज को वर्ष 2020 में अनुमति दी गई थी। इस विशेष योजना के तहत यह तय किया गया कि जिला अस्पताल या रेफरल अस्पताल में मेडिकल कालेज अस्पताल का संचालन होगा। राज्य सरकार के साथ सामंजस्य बिठाकर काम किया जाना था। खर्च का बंटवारा केंद्र और राज्य के बीच 60-40 फीसद का रखा गया है। कालेज शुरू करने के अब 120 करोड़ खर्च हो चुका हैं। जिसमें आक्सीजन प्लांट की शुरूआत, आपरेशन मे अत्याधुनिक सुविधा, विकसित लैब निर्माण आदि शामिल है। कार्य अभी भी प्रगति पर रहै। कालेज की अनुमति अब पूरी तरह टीम की रिपार्ट तय होगी।

मेडिकल कालेज की अनुमति और डीन की नियुक्ति के बाद जिला अस्पताल को कालेज अस्पताल में परिवर्तित किया गया। अस्पताल में पदस्थ कर्मचारी और मेडिकल काले के स्टाफ और चिकित्सकों में टकराव शुरू हो गया। सिविल सर्जन और डीन में अस्पताल के दायित्व भार को लेकर विरोधाभास की स्थति उत्पन्ना हो गई। जीवन दीप समिति के कर्मचारियों का हड़ताल भी इसी का परिणाम रहा। खींचतान के चलते कालेज के विकास कार्यो में गति नहीं आई। परिणाम स्वरूप बीते वर्ष कालेज में प्रवेश और पढ़ाई को मान्यता नहीं मिली।

निरीक्षण के पहले डीन की फेरबदल
2022-23 में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू होगी या नहीं यह भी एनएमसी की रिपोर्ट पर तय होगा। टीम की आमद ऐसे समय पर हुई है जब कालेज में स्थाई डीन नहीं है। राज्य चिकित्सा विभाग में हाल में डा. वायडी बड़गैया का सिम्स स्थानांतरण हो गया है। उनके स्थान पर नए डीन ने अभी पद भार ग्रहण नहीं किया है। कालेज में उपलब्ध संसाधनों की जानकारी देने के लिए स्थाई अधिकारी का नहीं होना मान्यता के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है।

हाल ही में सांसद ने किया था निरीक्षण
सप्ताह भर पहले ही सांसद ज्योत्सना महंत ने मेडिकल कालेज का निरीक्षण किया था। उन्होने कहा था कि हम सभी चाहते हैं कि कोरबा में जल्द से जल्द मेडिकल कालेज की स्थापना हो। उन्होने ने यह भी कहा था कि बैठक लेकर तैयारियों को दुरुस्त रखने के लिए है। मेडिकल कालेज शुरू हो जाता तो एमबीबीएस में पढ़ाई का यह दूसरा सत्र होता। अब सीएम भूपेश बघेल खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं। हम सब प्रयासरत हैं, उम्मीद है, जल्द ही कोरबा में मेडिकल कालेज का संचालन शुरू हो जाएगा।

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