बिलासपुर, 02 मार्च (वेदांत समाचार)। झीरम घाटी मामलें में NIA को हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। इस मामलें में हाईकोर्ट ने NIA की उस याचिका को खारिज किया है, जिसमें राज्य सरकार की एजेंसी से जाँच करवाने पर रोक लगाने की मांग की गई थी। बिलासपुर हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आज सुनवाई के बाद ये फैसला दिया है।
दरअसल झीरम में शहीद हुए कांग्रेस नेताओं में से एक उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने इस मामलें में दरभा थाने में इस मामलें में साल 2020 में प्राथमिकी दर्ज़ करवाए थी। उन्होंने ये प्राथमिकी नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी के चालान के पेश करने के बाद असंतुष्ट होने के बाद दर्ज़ करवाई थी।
इस FIR के खिलाफ जाँच एजेंसी ने स्पेशल जज की अदालत में याचिका लगा कर केस डायरी सौपने की मांग रखी थी, जिसे स्पेशल जज ने खारिज कर दिया था।
इसी के बाद ने नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर आज ज़िरह हुई। आज याचिका पर जस्टिस सामंत व जस्टिस चंदेल की डिवीजन बेंच में हुई ज़िरह के बाद कोर्ट ने कहा कि “राज्य की एजेंसी जांच करने के लिये स्वंत्रत हैं।” इस टिपण्णी के साथ कोर्ट ने एनआईए की याचिका को खारिज कर दिया।
NIA कर रही थी झीरम मामलें की जाँच
ग़ौरतलब है कि 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर हमला कर दिया था। इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल,
बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा और सुरक्षाबलों सहित 29 लोगों की मौत हो गई थी। बस्तर में रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिल लौट रहा था। इस काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं, जिनमें लगभग 200 नेता सवार थे तभी घात लगाए नक्सलियों ने एम्बुश लगाकर नेताओं पर हमला किया था।
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