सन 1956 में बने प्राथमिक स्कूल का पूर्व छात्रों ने मिलकर कायाकल्प कर कायम की मिशाल

लखन गोस्वामी

कोरबा/करतला 23 फरवरी (वेदांत समाचार)। कोरबा जिले के करतला विकासखंड अंतर्गत स्थित ग्राम पंचायत बरपाली के सन 1956 में बने प्राथमिक स्कूल जो वर्तमान में बहुत ही जर्जर हो चुका था। यह विद्यालय जिस भूमि में है वह भूमि और भवन को स्व. श्री जुड़ावन साव जी के द्वारा गांव में शिक्षा का मंदिर (विद्यालय खोलने ) के रूप में दान में दिया गया। वर्तमान में इस भवन को देखने से ऐसा लगता था कि कुछ सालों बाद इसमें विद्यालय का संचालन शायद नहीं हो पाएगा क्योंकि यह बहुत ही जर्जर हो चुका था,लेकिन यहाँ से पूर्व में पढ़कर निकले छात्रों ने मिलकर इस जर्जर हो रहे विद्यालय का कायाकल्प करने की योजना बनाई। सभी ने मिलकर अपना आर्थिक योगदान दिया जिससे इस विद्यालय जे आधुनिकीकरण का कार्य प्रारंभ हुआ।

विद्यालय के आधुनिकीकरण एवं सौंदर्यीकरण के अंतर्गत सभी कमरों के फर्श पर टाइल्स, दीवारों में पुट्टी कर आकर्षक पेंटिंग किया गया। विद्युत की उचित व्यस्था भी कराई जा रही है तथा आगे विद्यालय प्रांगड़ में बागवानी का कार्य भी कराया जाएगा जिससे विद्यालय और भी सुंदर तथा मनोरम लगे। सौंदर्यीकरण का कार्य पूर्ण होने के बाद शायद ही राज्य में कोई शासकीय विद्यालय ऐसा हो जहाँ पूर्व में पढ़े छात्रों ने स्वयं के व्यय व सहयोग से विद्यालय का कायाकल्प किया हो। यह विद्यालय आसपास के क्षेत्र में सबसे पुराना विद्यालय है, जो आज से 65 वर्षों से भी अधिक समय से संचालित है और इसी बात को लेकर पूर्व छात्रों ने बताया कि यह विद्यालय हमारे जीवन का आधार है। हमने यहाँ अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की और आज जो भी बने हैं वह इसी की देन है ,चूंकि हमपे इस विद्यालय का कर्ज है जिसे चुकाया तो नहीं जा सकता लेकिन इसके आधुनिकीकरण व सौंदर्यीकरण का कार्य करके आने वाले पीढ़ी के लिए मिशाल कायम कर सकते है। जिससे इस विद्यालय में आने वाले हर विद्यार्थी के मन मे अपने विद्यालय के लिए कुछ करने का भाव जागे।

ऐसे सकारात्मक कार्यों के माध्यम से ही समाज मे वैचारिक परिवर्तन आते है, जिससे युवाओं के व्यक्तित्व का विकास होता है और ऐसे कार्यों से यह भी देखने को मिलता है कि यदि आपके उद्देश्य अच्छे है तथा आप मे निष्ठा है तो संगठन में वह शक्ति है जो किसी भी कार्य को कर सके। इसकी मिशाल बनाई है शासकीय प्राथमिक शाला बरपाली में पढ़े हुए भूतपूर्व छात्रों ने जो आज अलग अलग स्थानों में अलग अलग पेशे से जुड़े होने के बावजूद एक संगठन के रूप में कार्य किया और अपने विद्यालय को फिर से नया रूप दिया।

इस अतुलनीय कार्य मे पूर्व के छात्र रहे – मनोज झा, रवि सिंह, संजीव शर्मा, देवराज , वीरेंद्र शुक्ला, सूरज अग्रवाल, आशीष बंसल, रविन्द्र निर्मलकर,मनीष अग्रवाल, राकेश पटेल,प्रवीण उपाध्याय,अभिषेक सिंघल,सुरेश अग्रवाल, चंद्रशेखर कैवर्त,मनहरण प्रजापति,विकास शर्मा,राजेन्द्र निर्मलकर, स्व रत्नेश उपाध्याय(के नाम से),लाल सिंग कंवर(प्रधानपाठक), लखन गोस्वामी (अधिवक्ता) का विशेष योगदान रहा।

प्रवीण उपाध्याय, टीम संयोजक

एक दिन जब हम लोग किसी कार्यक्रम के संबंध में प्राथमिक शाला बरपाली गए हुए थे, वहां के स्कूल भवन की जर्जर स्थिति देख कर मेरे मन मे ये विचार आया कि, जिस स्कूल ने हजारों बच्चो का उज्ज्वल भविष्य बनाया उस स्कूल भवन का भविष्य ही अंधकार भरा है, तो जो बच्चे यहां से पढ़ कर आज योग्य बन गए है, क्या हमसब मिलकर इसे आधुनिक नही बना सकते, इस पर मेरे मित्र संजीव शर्मा और वीरेंद्र शुक्ला के साथ मिलकर सभी जो योग्य है और इस स्कूल से पढ़े है उनसे सम्पर्क किया, और उनसे जो समर्थन और सहयोग प्राप्त हुआ, उसका नतीजा आपके सामने है

– प्रवीण उपाध्याय, टीम संयोजक

रवि सिंह, पूर्व छात्र, वर्तमान SDM सूरजपुर

इस पुननिर्माण काम के लिए जब प्रवीण का मेरे पास फोन आया तो मुझे बहुत अच्छा लगा ऐसा महसूस हुआ जैसे, की मुझे अपने स्कूल का ऋण चुकाने का अवसर मिल रहा है, और मैने कोई भी सहयोग के लिए हामी भर दी, औऱ ये जो काम है वो आने वाले दिनों में दूसरे बच्चों को प्रेरित करेगी, ऐसा मेरा मानना है ।

– रवि सिंह, पूर्व छात्र, वर्तमान SDM सूरजपुर

संजीव शर्मा, पूर्व छात्र

जब या निर्माण प्रक्रिया हमने प्रारंभ की तो हमें ऐसा लगा कि हम अपना बचपन फिर से जी ले रहे हैं और यह एक ऐसा काम है जो हमें वास्तविक संतुष्टि प्रदान कर रही थी, और स्कूल स्टाफ का जो सहयोग रहा वह भी प्रसंसनीय रहा

-संजीव शर्मा, पूर्व छात्र