पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) 2022 रविवार को संपन्न हो गया. इसके साथ ही 117 सीटों से चुनाव लड़ रहे 1304 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम (EVM) में कैद हो गया है. जिसका नतीजा 10 मार्च को आएगा, लेकिन मतदान की प्रक्रिया पूरी होते ही हार-जीत को लेकर विश्लेषण शुरू हो गया है. जिसमें मतदान में आई गिरावट विश्लेषण का मुख्य आधार बनता हुआ नजर आ रहा है. असल में 2017 की तुलना में 2022 के चुनाव में पंजाब के कम मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. ऐसे में मतदान में आई यह गिरावट सीधे तौर पर आम आदमी पार्टी (AAP) को होने वाले नुकसान की ओर इशारे कर रही है. वहीं मतदाताओं का यह रूझान पंजाब में खिचड़ी बहुमत की सियासी तस्वीर भी उभरने की तरह संकेत दे रहा है. आईए समझते हैं कि इस चुनाव में मतदान में कितनी कमी आई है और यह रूझान कैसे आम आदमी पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित होने के साथ ही खिचड़ी बहुमत की तरफ इशारे कर रहा है.
मतदान में 12 फीसदी से अधिक की गिरावट
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 संपन्न हो गए हैं, लेकिन इस चुनाव को लेकर मतदाताओं में जोश नहीं दिखा है. 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में पंजाब की सभी 117 सीटों पर कुल 64.33 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. अगर इसकी तुलना 2017 के चुनाव से की जाए तो कुल मतदान फीसद में 12 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. 2017 के चुनाव में कुल 76.83 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
तो ऐसे आम आदमी पार्टी को नुकसान हो सकता है
पंजाब चुनाव में इस बार कांग्रेस सत्ता बचाने के लिए संघर्षरत है. तो वहीं आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल पंजाब की सत्ता पर काबिज होने के लिए मैदान में हैं. जबकि बीजेपी गठबंधन किंंग मेकर बनने के उद्देश्य से चुनावी मैदान में है. कुल मिलाकर इस चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है. असल में किसी भी चुनाव में गैर राजनीतिक मतदाता निर्णायक साबित होते हैं. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जब भी किसी चुनाव में मतदान फीसदी में बढ़ोतरी होती है. तो उसमें इन गैर राजनीतिक मतदाताओं की भूमिका अहम होती है. वह अमूमन अधिकांश बार नाराजगी की स्थिति में सत्ता में बैठे राजनीतिक दल को हटाने के लिए मतदान करते हैं और मतदान फीसदी में बढ़ोतरी होती है, लेकिन पंजाब में इस बार ऐसा ना होने के संकेत मिल रहे है.
नतीजतन गैर राजनीतिक मतदाताओं तक राजनीतिक दलों की पहुंच नही हो सकी है और मतदान फीसदी में गिरावट आई है. इससे सीधे तौर पर आम आदमी पार्टी को नुकसान हो सकता है. असल में आम आदमी पार्टी 2017 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थी. ऐसे में इस बार बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए उसे अधिक मतों के साथ ही अधिक सीटों की जरूरत थी. कुल मिलाकर इस बार आम आदमी पार्टी सरकार बनाने के दौड़ में सबसे आगे चल रही थी, लेकिन मतदान में आई इस गिरावट से आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ना तय है.
खिचड़ी बहुमत का अंदेशा, सत्ता की दौड़ में कांग्रेस सबसे आगे
पंजाब चुनाव में मतदान का रूझान खिचड़ी बहुमत का इशारा भी कर रहा है. असल में जिस तरीके से पंजाब में आम आदमी पार्टी मजबूत हुई है और कांग्रेस संगठन में खींचतान चुनाव के बीच में भी जारी रही है. उससे किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत ना मिलने के अंदेशा है. हालांकि खिचड़ी बहुमत की इस स्थिति में भी कांग्रेस सबसे आगे होगी. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सरकार सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरेगी, लेकिन सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को सहारा लेना ही होगा. विश्लेषक मानते हैं कि आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में पिछली बार के मुकाबले फायदा होगा. वहीं इस चुनाव में कांग्रेस की मजबूती को लेकर लेकर राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा बताते हैं कि दलित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चन्नी से कांग्रेस को बड़ा फायदा होगा. हालांकि जिस तरह का मतदान फीसदी चुनाव में देखने को मिला है,उससे यह जरूर कहा जा सकता है कि कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में तो जरूर रहेगी, लेकिन बहुमत शायद किसी भी दल को न मिले.
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