कोरबा : मड़वारानी के जंगलों में पेड़ों की हो रही है अंधाधुंध कटाई, कट रहे हैं जंगल वन विभाग मना रहा मंगल

कोरबा, करतला 14 फरवरी (वेदांत समाचार)। कोरबा जिले के वनों में लगी भ्रष्टाचार की आग बुझने का नाम ही नहीं ले रही है। आये दिन वन विभाग के कुछ न कुछ कारनामें उजागर हो रहे है। इसी बीच वनों में पेड़ो की अवैध कटाई के किस्से देखने मिल रहे हैं।जिन अधिकारी, कर्मचारियों को वन की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है उनकी ड्यूटी में निष्क्रियता के कारण आज वनों की स्थिति बहुत ही खराब होते जा रही है।

कोरबा जिले के करतला वनमंडल अंतर्गत बरपाली वन परिक्षेत्र स्थित मड़वारानी के जंगलों में पिछले बहुत समय से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। आसपास के ग्रामीणों के द्वारा जंगल के हरे भरे पेड़ों को अपनी निजी स्वार्थ के चलते काटकर जंगल को नुकसान पंहुचाया जा रहा है।यदि इसी तरह जंगलों में पेड़ों की कटाई होती रही तो आने वाले समय मे मड़वारानी जंगल ना रहकर केवल पहाड़ी ही बचेगा। वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों की निष्क्रियता के कारण पेड़ो की अंधाधुंध कटाई चल रही है।ऐसी स्थिति में वनरक्षकों पर सवाल खड़े होते हैं कि जब कार्यालय से लगे जंगलो की सुरक्षा नहीं हो रही तो पूरे वन परिक्षेत्र का क्या हाल होगा। इसकी महज कल्पना ही की जा सकती है और वन विभाग के अधिकारी मूक दर्शक बने हुए हैं।इस जंगल मे चरवाहे अपने मवेशियों को चराने के लिए अपने साथ कुल्हाड़ी लेकर जाते हैं तथा वापस आते समय हरे भरे पेड़ों को काटकर लेते हुए आते दिखते हैं।मड़वारानी जंगल खुले वन की श्रेणी में आता है जिसमे आम लोगों के प्रवेश वर्जित नहीं होती तथा यहाँ से ग्रामीण लोग, चरवाहे अपने जरूरत की वन सामग्री जैसे सूखी लकड़ी, फल,फूल,बीज आदि का दोहन कर सकते हैं। लेकिन आसपास के ग्रामीण हर रोज ना जाने कितने पेड़ों को धराशायी कर वनों को नुकसान पंहुचा रहे हैं जिससे आने वाले समय मे शायद ही वन बचे और इस वन में पाए जाने वाले हजारों जीव जंतु उनका तो भगवान ही मालिक है। वन विभाग के कर्मचारी ड्यूटी के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रहे हैं और वनों के अवैध दोहन, पेड़ कटाई को रोकने में असमर्थ हैं। जिससे लकड़ी चोरों का मनोबल इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वे पूरे के पूरे पेड़ काटकर वन को नष्ट किये जा रहे हैं । राज्य शासन के द्वारा वनों को बचाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं तथा लोगों को पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है लेकिन जब वास्तविकता देखा जाए तो ऐसे पेड़ कटाई से इन सब योजनाओ में पानी फिर रहा है।

बरपाली वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर बी के शुक्ला व उनके टीम की निष्क्रियता के कारण आज मड़वारानी जंगल मरुभूमि में तब्दील हो रहा है और यदि पेड़ों की इस अन्धाधुन्ध कटाई पर नियंत्रण नहीं किया गया तो निश्चित ही मड़वारानी केवल पहाड़ी ही रह जाएगा और यहाँ के लोग मड़वारानी जंगल को इतिहास के रूप में पढ़ेंगे।