सबसे बड़े फ्रॉड पर सरकार का बयान: ABG Shipyard घोटाला पिछली सरकार की देन, यूपीए राज में ही NPA हो गया था अकाउंट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को एबीजी शिपयार्ड (ABG Shipyard) मामले में सरकार की बात रखी. उन्होंने कहा कि एबीजी का खाता पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के कार्यकाल में एनपीए (NPA) हुआ था. निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों ने औसत से कम समय में इसे पकड़ा और अब इस मामले में कार्रवाई चल रही है. सीतारमण ने सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘इस मामले में बैंकों को श्रेय मिलेगा. उन्होंने इस तरह की धोखाधड़ी को पकड़ने के लिए औसत से कम समय लिया.’ वित्त मंत्री ने कहा कि आमतौर पर बैंक इस तरह के मामलों को पकड़ने में 52 से 56 माह का समय लेते हैं और उसके बाद आगे की कार्रवाई करते हैं.

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. यह मामला आईसीआईसीआई बैंक की अगुआई में करीब दो दर्ज बैंकों के गठजोड़ के साथ धोखाधड़ी के लिए दर्ज किया गया है. एबीजी शिपयार्ड का घोटाला नीरव मोदी और मेहुल चौकसी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले से भी बड़ा है.

SBI का बयान

एक दिन पहले देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपनी बात रखी थी. एबीजी शिपयार्ड कंपनी में स्टेट बैंक ने भी लोन दिया है. स्टेट बैंक पर केस देर से दर्ज कराने का आरोप लगा है. इस पर SBI ने रविवार को कहा कि वह फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के बाद सीबीआई के साथ मिलकर एबीजी शिपयार्ड धोखाधड़ी मामले में कार्रवाई के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रहा है. धोखाधड़ी का यह मामला राजनीतिक रंग में आ गया है और कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि फ्रॉड केस दर्ज कराने में इतने साल क्यों लग गए. इस आरोप का जवाब देते हुए एसबीआई ने एक बयान में कहा कि फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के रिजल्ट के आधार पर धोखाधड़ी की बात घोषित की जाती है. लोन देने वाले सभी बैंकों की बैठकों में चर्चा की गई और जब धोखाधड़ी की बात साफ हो गई, तब सीबीआई में एफआईआर दर्ज कराई गई.

एसबीआई ने कहा कि पूरी प्रक्रिया में देरी करने का कोई प्रयास नहीं किया गया. उधर निर्मला सीतारमण ने बैकों का पीठ थपथपाया और कहा कि इतने कम समय में धोखाधड़ी उजागर कर बैंकों ने बड़ा काम किया है. सीबीआई ने देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के मुकदमा दर्ज किया है. अधिकारियों ने शनिवार को कहा था कि यह मुकदमा भारतीय स्टेट बैंक की अगुआई वाले बैंकों के कंसोर्टियम से कथित रूप से 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के संबंध में दर्ज किया गया.

किन-किन लोगों के खिलाफ केस

सीबीआई ने अग्रवाल के अलावा तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों – अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मुकदमा दर्ज किया. इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा किया गया है. बैंकों के कंसोर्टियम ने सबसे पहले आठ नवंबर 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर सीबीआई ने 12 मार्च 2020 को कुछ जवाब मांगा था. बैंकों के कंसोर्टियम ने उस साल अगस्त में एक नई शिकायत दर्ज की और डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच करने के बाद सीबीआई ने इस पर कार्रवाई की.

सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया. इसमें पैसे का गलत इस्तेमाल और आपराधिक विश्वासघात शामिल है. यह सीबीआई द्वारा दर्ज सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का मामला है.

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]