14 फरवरी को भगत सिंह को याद करने के लिए क्यों कहा जाता है? क्या है वायरल मैसेज की सच्चाई

14 फरवरी को दुनिया वैलेंटाइंस डे (Valentine’s Day) के रुप में मनाती है. लेकिन, 14 फरवरी के आने से पहले वैलेंटाइंस डे के विरोध में कई तरह के मैसेज सोशल मीडिया और वॉट्सऐप आदि पर शेयर होना शुरू हो जाते हैं. इनमें 14 फरवरी को वैलेंटाइंस डे के रूप में नहीं, बल्कि मातृ-पितृ दिवस आदि के रूप में मनाने के लिए कहा जाता है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर एक मैसेज और वायरल (Viral Message) होता है, जिसमें इस दिन को भगत सिंह से जोड़ा जाता है और कहा जाता है कि इस दिन भगत सिंह (Bhagat Singh) की कुर्बानी याद की जानी चाहिए.

ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये वायरल मैसेज क्या है और इसमें क्या कहा जाता है. साथ ही जानते हैं कि क्या सही में भगत सिंह का 14 फरवरी से कनेक्शन है और इसके पीछे क्या तथ्य हैं… तो जानते हैं वायरल मैसेज की सच्चाई और इससे जुड़े कुछ तथ्य जिससे आपको सही जानकारी पता चल पाएगी…

क्या वायरल होता है मैसेज?

दरअसल, 14 फरवरी के दिन भगत सिंह को लेकर कई तरह के तथ्यों के साथ मैसेज वायरल किए जाते हैं. कुछ मैसेज में 14 फरवरी को श्रद्धांजलि दिवस बताया जा रहा है और भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के साथ फोटो शेयर की जा रही है. वहीं, कुछ मैसेज में कहा जा रहा है कि आज ही के दिन यानी 14 फरवरी को ही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर चढ़ाया गया था. वहीं, कई लोग इस तथ्य के साथ भगत सिंह को याद करने के लिए कहते हैं कि 14 फरवरी के दिन भगत सिंह को फांसी की सुनाई गई थी और उनकी फांसी की तारीख तय की गई थी. इन मैसेज के साथ ही लोग कह रहे हैं कि अब वैलेंटाइंस डे की जगह भगत सिंह को याद करके इस श्रद्धांजलि दिवस को मनाना चाहिए.

https://twitter.com/starvirus143/status/1493088956560261120?s=20&t=zkRCd83BbP_TKA0ZqosvVg

ऐसे में हम जानते हैं कि आखिर इन वायरल मैसेज के तथ्यों में कितनी सच्चाई है और साथ ही जानते हैं क्या वाकई भगत सिंह और 14 फरवरी का कोई कनेक्शन है…

क्या है सच्चाई?

– पहले तो आपको बताते हैं कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को कब फांसी दी गई थी, जिससे वायरल मैसेज में किए जा रहे फांसी की तारीख के दावों का सच पत चल जाएगा. बता दें कि भगत सिंह समेत इन तीनों स्वतंत्रता सेनानियों को 14 फरवरी के दिन नहीं बल्कि 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी. ऐसे ये दावा गलत है कि उन्हें 14 फरवरी को फांसी लगाई गई और आज श्रद्धांजलि दिवस है.

– दूसरा दावा उनकी फांसी की सजा सुनाने को लेकर है, क्योंकि कहा जाता है कि 14 फरवरी को फांसी की सजा सुनाई गई थी. मगर सही तथ्य ये है कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 7 अक्टूबर 1930 को लाहौर कोर्ट में फांसी की सजा सुनाई गई थी. ऐसे में भगत सिंह की फांसी को लेकर 14 फरवरी का कोई खास महत्व नहीं है और कोई कनेक्शन नहीं है.

14 फरवरी से कुछ कनेक्शन है?

अब बात है कि क्या फिर भी भगत सिंह का 14 फरवरी से कनेक्शन है, तो इसका जवाब है नहीं. दरअसल, भगत सिंह का 14 फरवरी से कोई सीधा कनेक्शन नहीं है, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स एक घटना का जिक्र करती है, जिसमें भगत सिंह और 14 फरवरी का कनेक्शन है. लल्लनटॉप ने भी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 14 फरवरी 1931 को पंडित मदन मोहन मालवीय ने इन दिनों भारत के वायसराय रहे इरविन के सामने एक अपील दायर की थी. इस अपील में उन्होंने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की सजा माफ करने की मांग की थी और उन्हें अपनी ताकत का इस्तेमाल कर फांसी की सजा माफ करने के लिए कहा था.

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