तेंदुए का शिकार करने वाले 5 शिकारी गिरफ्तार

बिलासपुर 13 फ़रवरी (वेदांत समाचार)।  सोंठी सर्किल के बिटकुला बीट में तेंदुए का शिकार करने वाले पांच शिकारियों को वन विभाग की टीम ने पकड़ लिया है। कार्रवाई से बचने के लिए एक आरोपित ने एक नाखून व दो दांत को घर के कुएं में फेंक दिया था। पंप के जरिए कुएं से पानी निकालकर नाखून व दांत जब्त किया गया। इसके अलावा शिकार में इस्तेमाल किए गए धारदार टंगिया, 10 तीर, एक धनुष, पांच बंडल जीआइ तार, एक कुदाल भी बरामद किया गया है।

घटना 7 फरवरी कक्ष क्रमांक 12 की है। मृत तेंदुआ को देखने पर मामला शिकार का नजर आया। दूसरे ही दिन वनमंडलाधिकारी ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बिलासपुर पारुल माथुर से सामंजस स्थापित कर पातासाजी के लिए पुलिस एवं वन विभाग की टीम गठित की। लगातार छानबीन के बाद 11 दिसंबर को दो व्यक्ति संतोष कुमार धनुहार (35) निवासी धनुहार पारा निरतु व नंदकुमार पटेल (50) निवासी बंगलाभाठा निरतू को संदेह के आधार पर पकड़ा।

पूछताछ के दौरान दोनों ने शिकार करना स्वीकार कर लिया। इतना ही नहीं अपने बयान में दोनों आरोपितों ने विद्युत करेंट से शिकार की जानकारी दी। इसके अलावा अपराध में संलिप्त तीन अन्य व्यक्ति तीजराम पटेल उर्फ भकाचंद (58) निवासी निरतू, समारू उर्फ संजय धनुहार (35) निवासी छिंदपानी जिला कोरबा और फूल सिंह यादव (70) निवासी निरतू को गिरफ्तार किया। आरोपित नंदकुमार पटेल ने तेंदुआ एक नाखून व दो दांत को पालिथिन में भरकर अपने घर की बाड़ी में स्थित कुआं के अंदर 30 फीट गहराई पानी में छुपाकर रखा था।

जांच टीम ने कुएं के पानी को मोटर पंप लगाकर खाली कर वन्य जीव अवशेष को बाहर निकाला। इसके साथ ही आरोपितों के कब्जे से घटना में इस्तेमाल किए गए हथियार व अन्य सामान को भी बरामद किया गया। आरोपितों के खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 2, 9, 39, 50 और 51 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया। गिरफ्तारी के साथ अपराध दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके बाद आरोपितों को न्यायालय प्रस्तुत किया गया। जहां से 14 दिनों की न्यायिक रिमांड पर केंद्रीय जेल भेजा गया है।

जांच के दौरान बलदेव सिंह गोंड निवासी अदराली व रहस राम पटेल निवासी निरतू टीम के हत्थे चढ़ गए। दोनों ने जंगली सूअर का शिकार किया था। शिकार के बाद सूअर के अवशेष को घर पर रखे थे। इस दौरान टीम ने अवशेष बरामद किया। जंगली सूअर के शिकारियों के खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत् पृथक से वन अपराध पंजीबद्ध कर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां दोनों को जेल भेज दिया गया।

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