N Chandrasekaran को टाटा संस के चेयरमैन के तौर पर मिला दूसरा कार्यकाल, 5 साल के लिए और संभालेंगे पद

एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) की टाटा संस (Tata Sons) के चेयरमैन के पद पर पांच साल के लिए दोबारा नियुक्ति की गई है. यह उनका दूसरा कार्यकाल होगा. उन्हें टाटा ट्रस्ट के बोर्ड और उसके चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) के बोर्ड का समर्थन और मंजूरी मिली है. आज बॉम्बे हाउस में हुई एक बोर्ड मीटिंग में यह फैसला लिया गया है. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 11 फरवरी 2022 को हुई अपनी बैठक में, टाटा संस के बोर्ड ने पिछले पांच सालों की समीक्षा की और उसके एग्जीक्यूटिव चेयरमैन एन चंद्रशेखरन की दोबारा नियुक्ति को लेकर विचार किया. रतन एन टाटा ने एन चंद्रशेखरन की अगुवाई में टाटा ग्रुप की प्रगति और प्रदर्शन पर अपना संतुष्ट जाहिर किया. उन्होंने चंद्रशेखरन के कार्यकाल को आगे पांच साल की अवधि के लिए और बढ़ाने का सुझाव भी दिया.

53 साल की उम्र के एन चंद्रशेखरन ने साल 1987 में TCS ज्वॉइन की थी. वे नीचे से ऊपर उठकर 2009 में कंपनी के सीईओ के पद पर पहुंच गए. उन्हें टीसीएस के बेहतरीन प्रदर्शन का श्रय दिया जाता है. आज टीसीएस देश की सबसे ज्यादा कामयाब आईटी कंपनी है. कंपनी में बिल्कुल नीचे से शुरू करके सबसे ऊंचे पद पर पहुंचना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. आइए इसके पीछे एन चंद्रशेखरन की कहानी को जानते हैं.

नटराजन चंद्रशेखरन का जन्म तमिलनाडु में मोहानूर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था. वे छह बच्चों में से एक थे. चंद्रशेखरन के पिता एक वकील थे, लेकिन उनके दादा की मौत के बाद उनके पिता को परिवार का खेत देखना पड़ा, जिसमें केला, चावल और गन्ना उगाया जाता था. चंद्रशेखरन के पिता मेहनत की ताकत में विश्वास रखते थे और उन्होंने अपने बच्चों को यही सिखाया.

जब चंद्रशेखरन बच्चे थे, तो वे और उनके भाई रोजाना तीन किलोमीटर पैदल चलकर अपने तमिल मीडियम के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते थे. अपनी सीनियर सेकेंडरी की परीक्षा के लिए, उन्होंने अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में दाखिला ले लिया. 10वीं कक्षा को पास करने के बाद, वे आगे पढ़ाई के लिए Trichy चले गए. उन्होंने बाद में एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे उनके घर और परिवार से दूर रहने का अनभव उनके लिए एक बड़ा बदलाव था.

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