बीएससी पास पहाड़ी कोरवा युवती सुश्री ममता कोरवा महिलाओं को दिखा रही उन्नति की राह,आर्थिक विकास के लिए पहाडी कोरवा महिलाओं ने चुनी मुंगफली की खेती

समूह में जुड़कर महिलाएं लगभग 3 एकड़ खेत में ले रही मुंगफली की फसल

कोरबा10 फ़रवरी (वेदांत समाचार)। कोरबा जिला पहाड़ी कोरवा जनजाति सदस्यों के निवास स्थान के लिए जाना जाता हैं। पहले पहाड़ी कोरवा जनजातियों को जंगलों में रहकर सामान्य जीवन-यापन के लिए जाना जाता था। अब जिले के पहाड़ी कोरवा सदस्य खेती के माध्यम से उन्नति करने के लिए पहचान बना रहे है। कोरबा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत करूमौहा के आश्रित ग्राम आंछीमार में पहाड़ी कोरवा महिलाएं स्व सहायता समूह से जुड़कर आर्थिक विकास के लिए खेती की राह चुन ली है। समूह की महिलाएं अपने जमीन पर मूंगफली की फसल ले रही हैं। महामाया, चांदनी, शारदा एवं प्रगति स्व सहायता समूह की महिलाएं लगभग 3 एकड़ रकबे में मूंगफली की बुवाई भी कर चुकी हैं। पहाड़ी कोरवा महिलाओं को रास्ता दिखाने का काम एनआरएलएम की सक्रिय सदस्य सुश्री ममता कोरवा कर रही हैं। ममता स्वयं पहाड़ी कोरवा जनजाति की है। ममता ने भैंसमा स्थित कॉलेज से बीएससी तक की पढ़ाई की है। ममता ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक के लिए प्रोत्साहित कर रही है। प्रोत्साहित होकर पहाड़ी कोरवा महिलाएं मूंगफली की खेती के साथ सब्जी पालन, मुर्गी पालन और बकरी पालन का भी काम कर रही है।


एनआरएलएम की सक्रिय सदस्य ममता कोरवा ने बताया कि गांव में पहले एक ही सीजन धान का फसल लेते थे। जिससे गांव वालों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उन्होंने आगे बताया कि जिला प्रशासन के सहयोग से सभी महिला समूहों को एनआरएलएम के आरएफ, सीआईएफ और बैंक लिंकेज के माध्यम से राशि दिया गया है। पैसे मिल जाने से महिलाओं को भी फसल लेने की प्रेरणा और आर्थिक ताकत मिली है। महिलाएं अपने- अपने हिस्से की लगभग 3 एकड़ भूमि में मूंगफली की फसल ले रही हैं। ममता ने बताया कि खेतों के पास ही पुराना नाला है जिससे पंप के माध्यम से सिंचाई की सुविधा मिलती है। पानी की सुविधा से महिलाएं मूंगफली के साथ धान और सब्जी का भी उत्पादन कर रही हैं। पहाड़ी कोरवा महिलाओं को मूंगफली फसल पूर्ण होने पर लगभग 15 क्विंटल से अधिक उत्पादन होने की उम्मीद है। सक्रिय सदस्य ममता गांव में महिलाओं को प्रोत्साहित करने के साथ गांव के सदस्यों के श्रम कार्ड, आयुष्मान कार्ड एवं आधार कार्ड बनवाकर शासकीय योजनाओं के लाभ दिलाने में भी मदद करती हैं।

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