कलेक्टर ने की पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा

कोरिया 08 फ़रवरी (वेदांत समाचार)। सुराजी ग्राम योजना के क्रियान्वयन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण परिवेश में आजीविका के स्तर का बदलाव लाना है। इसके लिए आवश्यक है कि स्व सहायता समूहों के माध्यम से संगठित हो रही महिलाओं को स्वरोजगार की दिशा में आगे ले जाना होगा। इसके लिए कार्ययोजना बनाकर प्रत्येक महिला समूह को स्थायी आजीविका गतिविधि में नियोजित करें। जिससे महिला स्व सहायता समूह से जुड़ी हुई प्रत्येक महिला को प्रतिमाह एक निश्चित आय का साधन प्राप्त हो सके। उक्ताशय के निर्देश जिला पंचायत के मंथन कक्ष में समीक्षा बैठक के दौरान कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को दिए।

बैठक में जिले के गौठानों में नेपियर घास उत्पादन, वर्मी टांका निर्माण, मुर्गी और बकरीपालन शेड निर्माण की जानकारी लेते हुए कलेक्टर ने कहा कि आजीविका के लिए सस्टेनेबल मॉडल अपनाएं। सस्टेनेबल मॉडल का अर्थ है कम निवेश में अधिक आय, कम लागत पर आजीविका गतिविधियों का संचालन कर स्व सहायता समूहों में लाईवलीहुड एक्टिविटी के बेहतर क्रियान्वयन किए जाने के निर्देश दिए।

कलेक्टर ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के विभिन्न योजनाओं की समीक्षा करते हुए संबंधितों को आवश्यक दिशानिर्देश दिए। इस समीक्षा बैठक के दौरान जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कुणाल दुदावत, कार्यपालन अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग तथा विभागीय योजनाओं के तहत पदस्थ मैदानी अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

उन्होंने समीक्षा बैठक के प्रारंभ में गोधन न्याय योजना की समीक्षा करते हुए ग्रामीण गौठानों में अब तक खरीदे गये कुल गोबर से बनाये गये वर्मी कम्पोस्ट तथा विक्रय की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना शासन की महत्वाकांक्षी योजना है। ऑनलाईन प्रविष्टि में संख्यात्मक जानकारी सही तरीके से भरे जाने के निर्देश दिए। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को स्व सहायता समूहों को वर्मी कम्पोस्ट बनाने से मिलने वाले लाभ की नियमित समीक्षा करने के निर्देश दिए।

महात्मा गांधी नरेगा योजना की समीक्षा करते हुए कलेक्टर ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के संबंध में आजीविका गतिविधियों से भी जोड़ने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गौठानों में एक साथ तीन से चार आजीविका गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जाये। इसमें कृषि विभाग, हार्टिकल्चर विभाग को शामिल करें। नरवा विकास योजना के संबंध में ने सभी एसडीओ को नरवा विकास कार्यों को जल्द से जल्द पूर्ण करने के निर्देश देते हुए कहा कि गोबर खरीदी के लिए गरवा की तरह नरवा भी जरूरी है। यह जल स्तर वृध्दि के लिए बेहतर योजना है जिससे किसानों को फायदा होगा। उन्होंने सभी विकासखण्ड के एसडीओ को समीक्षा बैठकों में दो-दो नरवा कार्यों के प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। सभी तकनीकी सहायक मनरेगा के अंतर्गत डबरी निर्माण में ग्राम सभा और बुजुर्गों से चर्चा करते हुए निर्माण की योजना बनायें।

बैठक में कलेक्टर ने डीएफओ, वन विभाग से एक सप्ताह के अंदर वन धन केंद्र में किए गए व्यय एवं महिला समूहों को पिछले छः महीने में हुई आय की जानकारी देने के निर्देश दिए। राष्ट्रीय आजीविका मिशन की समीक्षा के दौरान कलेक्टर ने सभी विकासखण्डों में मार्च तक प्रत्येक गौठान में कम से कम तीन गतिविधि और चिन्हांकित गौठानों में 5 गतिविधि संचालित किया जाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने आजीविका गतिविधियों में झाड़ू निर्माण, साफ्ट टाय, ज्वेलरी मेकिंग जैसे गतिविधियों को शामिल किए जाने के संबंध में चर्चा की। एनआरएलएम जिला मिशन प्रबंधक ने बताया कि वर्तमान में 610 स्व सहायता समूहों के 4 हजार 854 सदस्यों के माध्यम से 747 आजीविका गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है।

कलेक्टर ने सभी सीईओ जनपद, पीओ, बीपीएम, एसडीओ आरईएस को सप्ताह में फील्ड में जाकर मासिक रूट चार्ट बनाकर कार्य का निरीक्षण और मूल्यांकन करने कहा। स्व सहायता समूहों में कार्यरत महिलाओं की आय और समय पर भुगतान के निरीक्षण के लिए कलेक्टर ने सभी सीईओ जनपद को मासिक जांच करने के निर्देश दिए।