राहुल गांधी ने PM मोदी पर साधा निशाना, कहा- वह प्रधानमंत्री नहीं राजा हैं, जो सिर्फ फैसला लेते हैं और चाहते हैं सब मानें

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election) में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर निशाना साधा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि भारत में आज कोई प्रधानमंत्री नहीं है, बल्कि एक राजा है जो मानता है कि लोगों को निर्णय लेते समय चुप रहना चाहिए. राहुल गांधी ने किच्छा में ‘उत्तराखंडी किसान स्वाभिमान संवाद’ रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को कोरोना महामारी के दौरान एक साल तक सड़कों पर छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अगर होती तो ऐसा न करती.

राहुल गांधी ने कहा, “मनमोहन सिहं का समय ‘गोल्डन पीरियड’ क्यों था. वह गोल्डन पीरियड इसलिए था क्योंकि उस समय किसानों और सरकार के बीच साझेदारी थी. उस समय सरकार के दरवाज़े आपके लिए खुला करते थे, वह बंद नहीं थे. उस समय भारत में प्रधानमंत्री था और आज के भारत में राजा है. प्रधानमंत्री सुनता है, उनके दरवाज़े किसान, मज़दूर, छोटे व्यापारियों के खुले थे. लेकिन राजा ना सुनेगा ना बात करेगा. राजा सिर्फ़ निर्णय लेगा. और चाहेगा कि लोग उसे मानें.”

उन्होंने आगे कहा, “अगर एक प्रधानमंत्री सभी के लिए काम नहीं करता है तो वह पीएम नहीं हो सकता है. इस तरह, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं हैं.” केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर तक चले किसान आंदोलन को लेकर राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने भीषण महामारी में किसानों को सड़कों पर छोड़ दिया. इसके साथ ही उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ डटे रहने को लेकर किसानों को बधाई दी.

दो भारत, एक अमीरों का एक गरीबों का

न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक राहुल गांधी ने आगे दोहराया कि आज दो भारत हैं, एक अमीरों के लिए और दूसरा गरीबों के लिए. उन्होंने कहा, “देश में करीब 100 लोगों के एक चुनिंदा समूह के पास देश की आबादी के 40 फीसदी के बराबर संपत्ति है. इस तरह की आय असमानता कहीं और नहीं देखी जाती है.” उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों ने अंग्रेजों से नहीं, देश के किसानों और मजदूरों ने लड़ाई लड़ी.

दिल्ली में चला था किसानों का प्रदर्शन

केंद्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसानों ने एक साल से अधिक समय तक दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन किया. लेकिन पिछले साल नौ दिसंबर को केंद्र ने कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया, जिसके बाद किसानों ने नवंबर 2020 से चल रहे प्रदर्शन को खत्म कर दिया.

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