एक माह में 4000 से अधिक कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवाई दी

सूरजपुर 25 जनवरी (वेदांत समाचार)।   मुख्यमंत्री के मंशा अनुरूप जिले में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत कलेक्टर के मार्गदर्शन, सीईओ जिला पंचायत के निर्देशन मे चिरंजीवी सूरजपुर अभियान की सफलता के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग  ने लक्ष्य सुपोषण अभियान अंतर्गत हेल्थ विभाग के सहयोग से हेल्थ फ्राइडे के माध्यम से प्रतिमाह प्रथम व तृतीय शुक्रवार को जिले के उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 1 माह के भीतर 150 से अधिक मुख्यमंत्री बाल संदर्भ शिविर का आयोजन कर 4000 से अधिक कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवाई का वितरण किया गया ।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना अंतर्गत गंभीर कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता है लेकिन मध्यम कुपोषित बच्चों के लिए इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है इसके अतिरिक्त इसका आयोजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में होने के कारण दूरस्थ क्षेत्रों के पालक अपने बच्चों को लेकर आने में आनाकानी करते थे इस समस्या को दूर करने के लिए जिले में महिला बाल विकास विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से समन्वय स्थापित करते हुए जिले के सभी उप स्वास्थ्य केंद्र,  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों का एक दिवसीय प्रशिक्षण जिला पंचायत में कलेक्टर की अध्यक्षता में संपन्न कराया गया था जिसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर आर एस सिंह एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रबेश सिंह सिसोदिया द्वारा कुपोषित बच्चों के सुपोषण प्रबंधन के लिए चिरंजीवी सूरजपुर अभियान के अनुभव को साझा करते हुए ऐसे बच्चों के इलाज के लिए आवश्यक मार्गदर्शन दिया गया। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रियंक पटेल एवं डॉ अजय मरकाम ने कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए चिकित्सा मार्गदर्शन एवं दवाइयों के उपयोग के संबंध में जानकारी दी गई।

 आगामी मार्च महीने तक माह के प्रथम शुक्रवार और माह के तृतीय शुक्रवार को जिले के 80 से अधिक उप स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में उस क्षेत्र के सभी मध्यम एवं गंभीर कुपोषित बच्चों व उनकी माताओं का न केवल स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है अपितु आवश्यकतानुसार दवाइयां व पौष्टिक आहार व मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है । एक-एक बच्चे के पोषण स्तर की जानकारी उनके पोषण अनुश्रवण पंजी में दर्ज किया जा रहा है निसंदेह इसका लाभ आगामी माह में देखने को मिलेगा ।

इसी प्रकार जिले के सर्वाधिक कुपोषण वाले क्षेत्रों का चिन्ह आंकन कर महिला एवं बाल विकास विभाग ने कुपोषित बच्चों के पालको को सुपोषण प्रबंधन के लिए अभिनव पहल करते हुए प्रदेश में पहली बार सुपोषण पाठशाला का संचालन किया जा रहा है।

जिले में 700 सुपोषण पाठशाला के माध्यम से गंभीर एवं मध्यम कुपोषित बच्चों के माता एवं पिता को उनके घर के नजदीक के किसी हितग्राही के घर अथवा नजदीक के चिन्ह अंकित आंगनवाड़ी केंद्र में सुपोषण पाठशाला हेतु जिले में तैयार की गई पुस्तक वा कलैंडर के माध्यम से पोषण ,स्वच्छता ,व्यक्तिगत साफ-सफाई बच्चों की देखरेख व पालन की विधि खाद्य विविधता प्रोटीन  विटामिंस पोषण वाटिका का महत्व आदि विषयों पर  व्यवहारिक ज्ञान देकर जागरूक किया जा रहा है।

15000 बच्चों को सप्ताह में 3 दिन सोमवार ,बुधवार शुक्रवार को अंडा, मोरिंगा बार उपलब्ध कराया जा रहा है । इसके अतिरिक्त 5000 कुपोषित बच्चों के पालकों को व्यवहार परिवर्तन के लिए पोषण आधारित कैलेंडर का वितरण किया गया है।

जिले के 1100  गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषण पेटी प्रदान कर सप्ताह में 3 दिन सोमवार ,बुधवार, शुक्रवार को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता दीदी ने गृह भेंट बैठकर बच्चों को अंडा, मोरिंगा बार एवं मूंगफली गुड़ चिक्की का सेवन कराया जा रहा है यह पेटी हितग्राही के घर पर दी गई है एवं इसकी चाबी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता दीदी के पास है।
जिले के सभी कुपोषित बच्चों के पोषण स्तर की मॉनिटरिंग और शासन के प्रयासों को पोषण अनुश्रवण पंजी में दर्ज किया जा रहा है। निसंदेह इन सभी प्रयासों का सकारात्मक परिणाम आगामी कुछ दिनों के बाद देखने को मिलेगा व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से सुपोषण की ओर वास्तविक अर्थों में सुपोषण प्रबंधन के लिए जिले में महिला बाल विकास विभाग की एक सकारात्मक पहल है।