कांग्रेस ने आर्थिक असमानता बढ़ने का दावा करने वाले एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार की ‘आर्थिक महामारी’ के शिकार देश के गरीब और मध्यम वर्ग के लोग बने हैं. मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि इस बार का आम बजट गरीबी और अमीरी के बीच खाई को पाटने पर केंद्रित हो तथा सरकार ‘ग्रॉस इकनॉमिक मिसमैनेजमेंट इंडेक्स’ (सकल आर्थिक कुप्रबंधन सूचकांक) की शुरुआत करे, ताकि आर्थिक असामनता की सच्चाई सामने आ सके. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘कोविड महामारी पूरे देश ने झेली, लेकिन गरीब वर्ग व मध्यम वर्ग मोदी सरकार की ‘आर्थिक महामारी’ के भी शिकार हैं. अमीर-गरीब के बीच बढ़ती ये खाई खोदने का श्रेय केंद्र सरकार को जाता है.’’ ‘पीपल्स रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकॉनमी’ के सर्वेक्षण में कहा गया है कि गत पांच वर्षों में सबसे गरीब 20 फीसदी भारतीय परिवारों की सालाना घरेलू आय करीब 53 फीसदी कम हो गई. इसी तरह, निम्न मध्यम वर्ग के 20 फीसदी लोगों की घरेलू आय भी 32 फीसदी घट गई. इस सर्वेक्षण के अनुसार, गत पांच वर्षों के दौरान देश के सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की आय 39 फीसदी बढ़ गई.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी इस सर्वेक्षण को लेकर ट्वीट किया, ‘‘मोदी सरकार सिर्फ अमीरों के लिए है! यह अब सामने है – गरीब और गरीब – ‘हम दो हमारे दो’ की चांदी. पिछले 5 साल में – सबसे गरीब लोगों की आय 53 फीसदी कम, निम्न मध्यम वर्ग की आय 32 फीसदी कम, अमीरों की आय 39 फीसदी बढ़ी. गरीब-मध्यम वर्ग पर मार, मोदी सरकार है अमीरों की सरकार!’’
अमीर और ज्यादा अमीर, गरीब और गरीब हो गए हैं
पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पहले ऑक्सफैड इंडिया की रिपोर्ट आई. अब ‘पीपल्स रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकॉनमी’ की ओर से किया गया सर्वेक्षण सामने आया है, जिससे साबित होता है कि मोदी सरकार में अमीरी और गरीबी के बीच खाई बढ़ती जा रही है.’’ उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण साबित होता है देश की 60 फीसदी आबादी पांच साल पहले की अपनी कमाई के मुकाबले अब कम कमा रही है. सुप्रिया ने कहा, ‘‘एक के एक बाद जो सर्वेक्षण आ रहे हैं, उससे साबित होता कि अर्थव्यवस्था में कुछ गंभीर समस्याएं हैं और इसके लिए यह सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है.
अमीर और गरीब के बीच खाई पाटने की जरूरत
कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार से आग्रह किया, ‘‘इस बार के बजट का सिर्फ एक केंद्र बिंदु होना चाहिए कि अमीरों और गरीबों के बीच खाई कैसे पाटी जाए और लोगों के हाथ में पैसे दिए जाएं. अगर यह नहीं होता है तो बजट सिर्फ जबानी जमाखर्च होगा.’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘सरकार को एक नये सूचकांक ‘ग्रॉस इकनॉमिक मिसमैनेजमेंट इंडेक्स’ की शुरुआत करनी चाहिए, ताकि पता किया जा सके कि इस सरकार ने कैसे निवेश, उपभोग और निर्यात प्रभावित किया है.’’
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