शराबबंदी के नाम पर राजनीति में बवाल, चारों ओर से घिर रही सरकार

रायगढ़ 22 जनवरी (वेदांत समाचार)। . छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के नाम पर राजीनितक बवाल मचा हुआ है. विपक्ष से लेकर समाजिक कार्यकर्ता सभी सरकार को इस मुद्दे पर घेर रहे हैं. सरकार कमेटी का गठन कर इस मामले की इतिश्री करते नजर आ रही है. वह अपने जनघोषणा पत्र में किए हुए शराबबंदी के वादों पर घर गई है. कांग्रेस सरकार गठन के तीन साल बाद भी शराबबंदी का मामला कमेटी गठन से आगे नहीं बढ़ा पाई. इसे लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है.

शराबबंदी पर कांग्रेस की भूपेश सरकार बैकफुट पर दिखाई पड़ रही है. दरअसल, पार्टी ने चुनाव के वक्त साल 2018 में शराबबंदी का वादा किया था. जानकार मानते हैं कि कांग्रेस के इस वादे को प्रदेश की महिलाओं ने हाथों-हाथ लिया और बढ़-चढ़कर उसे वोट दिया. इस वोटिंग की वजह से कांग्रेस कांग्रेस 90 में से 70 सीटें जीतने में कामयाब हो गई. उसके बाद कांग्रेस ने शराबबंदी के लिए एक कमेटी का गठन किया. अब तक यही कमेटी शराबबंदी पर विचार कर रही है. इस कमेटी का कोरम भी आज तक पूरा नहीं हो पाया है.विज्ञापन

सरकार के सामने ये परेशानी

बताया जा रहा है कि शराबबंदी को लेकर राज्य सरकार के आड़े परंपरा भी आ रही है. एक ओर शराब आदिवासी संस्कृति और परम्परा में शामिल है, तो दूसरी ओर इससे प्रदेश की मौजूदा वित्त स्थिति को बड़ा सहारा मिल रहा है. जीएसटी और केंद्रीय प्रतिपूर्ति में लेटलतीफी के बीच शराब का राजस्व करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है जो सरकार के लिए संजीवनी के बराबर है. अब ऐसी स्थिति में शराबबंदी में देरी लाजमी है.