कृषि विश्वविद्यालय का 36वां स्थापना दिवस मनाया गया

रायपुर,20 जनवरी (वेदांत समाचार)।  इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर का 36वां स्थापना दिवस गुरुवार को मनाया गया। इस अवसर पर ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से कृषि विश्वविद्यालय के 35 वर्षाें की विकास यात्रा का पुनरावलोकन किया गया। स्थापना दिवस पर कृषि क्षेत्र में युवाओं को प्रेरित, आकर्षित तथा प्रतिधारित करने के लिए आयोजित वेबिनार के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. एस.एस. सेंगर ने कहा कि देश के युवाओं को कृषि के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित करना तथा उन्हें इस क्षेत्र में बनाये रखना आज के समय की मांग है। उन्होंने कहा कि युवाओं को कृषि संबंधी व्यावसायिक गतिविधियों से जोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नये अवसर सृजित किये जा सकते हैं। फसल विविधिकरण, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन तथा सुनिश्चित बाजार उपलब्ध करा कर युवाओं को कृषि के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से आव्हान किया कि वे कृषि के क्षेत्र में व्यावसाय-उद्यम स्थापित कर अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध कराएं। उन्होंने कृषि में नवाचार और सूचना प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग करने पर जोर दिया।


इस वेबिनार में कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित समस्त महाविद्यालयों के अधिष्ठाता एवं प्राध्यापकगण, कृषि अनुसंधान केन्द्रों के वैज्ञानिक एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा विषयवस्तु विशेषज्ञ और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं जुडे़। विश्वविद्यालय के कुलसचिव जी.के. निर्माम, प्रशासनिक अधिकारी, अधिष्ठातागण तथा विभागाध्यक्ष नाॅलेज सेन्टर में कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए आफलाईन माध्यम से वेबिनार में शामिल हुए। वेबिनार में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डाॅ. ए.के. सिंह भी शामिल हुए। डाॅ. ए.के. सिंह ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को कृषि और संबंधित गतिविधियों से जोड़ने के लिए आर्या (अट्रैक्टिंग रूरल यूथ इन एग्रीकल्चर) योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत प्रत्येक जिले के लिए किसी एक उत्पाद का चयन कर उसके उत्पादन को बढ़ावा दिया गया। यह योजना कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से संचालित की जा रही है और अब तक इस योजना के तहत लाखों युवाओं को कृषि एवं संबंधित गतिविधियों से जोड़ा गया है।


वेबीनार को संबोधित करते एवं महात्मा गांधी उद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय सांकरा (दुर्ग) के कुलपति डाॅ. आर.एस. कुरील ने कहा कि युवाओं को कृषि क्षेत्र के प्रति आकर्षित करने में कृषि यंत्रीकरण, कटाई उपरान्त प्रबंधन, फसल विविधिकरण, समन्वित कृषि प्रणाली, कौशल विकास प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास, वित्तीय मदद तथा बाजार लिंकेज की महत्वपूर्ण भूमिका है। वेबिनार में स्वागत भाषण देते हुए कृषि महाविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता डाॅ. एम.पी. ठाकुर ने छत्तीसगढ़ में कृषि शिक्षा के विकास के पर प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि राज्य बनने के पश्चात छत्तीसगढ़ में कृषि शिक्षा का तीव्र विकास हुआ है और आज छत्तीसगढ़ कृषि शिक्षा के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में है। उन्होंने बताया कि राज्य निर्माण के समय छत्तीसगढ़ में केवल एक कृषि महाविद्यालय संचालित था जबकि आज 32 कृषि महाविद्यालय, 11 उद्यानिकी महाविद्यालय, 4 कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, एक खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय तथा एक वानिकी महाविद्यालय संचालित है। निदेशक विस्तार सेवाएं डाॅ. आर.के. बाजपेयी ने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र ने युवाओं को कृषि और संबंधित व्यावसायिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों ने ग्रामीण क्षेत्रों में कृषक उत्पादक संगठन, कृषक समूह, महिला स्व-सहायता समूह आदि के माध्यम से कृषि आधारित व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही है।


वेबिनार के दौरान बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, बिलासपुर के अधिष्ठाता डाॅ. आर.के.एस. तिवारी ने समस्त कृषि महाविद्यालयों की प्रगति और उभरते मुद्दों पर प्रस्तुति दी। उद्यानिकी महाविद्यालय, राजनांदगांव के अधिष्ठाता डाॅ. जितेन्द्र सिंह द्वारा समस्त उद्यानिकी महाविद्यालयों की प्रगति और उभरते मुद्दों पर प्रस्तुति दी गई। समस्त कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय की प्रगति और उभरते मुद्दों पर स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डाॅ. विनय पाण्डेय ने प्रस्तुति दी। छत्तीसगढ़ के मौदानी क्षेत्रों की अनुसंधान उपलब्धियां और उभरते मुद्दों पर सह संचालक अनुसंधान डाॅ. आर.आर. सक्सेना ने प्रस्तुति दी। छत्तीसगढ़ के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों की अनुसंधान उपलब्धियां एवं उभरते मुद्दों पर राजमोहिनी देवी कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय और अनुसंधान केन्द्र के अधिष्ठाता डाॅ. पी.के. जायसवाल ने प्रस्तुति दी। शहीद गुण्डाधुर कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान केन्द्र के अधिष्ठाता डाॅ. आर.एस. नेताम ने छत्तीसगढ़ के बस्तर पठारी क्षेत्रों की अनुसंधान उपलब्धियां एवं उभरते मुद्दों पर प्रस्तुति दी गई। छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों की विस्तार उपलब्धियों और उभरते मुद्दों पर कृषि विज्ञान केन्द्र, रायपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. एस.एस. चन्द्रवंशी ने प्रस्तुति दी। छत्तीसगढ़ के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों की विस्तार उपलब्धियों और उभरते मुद्दों पर कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. संदीप शर्मा ने प्रस्तुति दी। कृषि विज्ञान केन्द्र, दंतेवाड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. नारायण साहू ने छत्तीसगढ़ के बस्तर के पठारी क्षेत्रों की विस्तार उपलब्धियां एवं उभरते मुद्दों पर प्रस्तुति दी गई। कृषि मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जी.के. दास ने छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों में प्रक्षेत्रों की उपलब्धियों और उभरते मुद्दों पर प्रस्तुति दी गई।


वेबिनार में छत्तीसगढ़ के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों में प्रक्षेत्रों की उपलब्धियों और उभरते मुद्दे पर कृषि विज्ञान केन्द्र अंबिकापुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. रविन्द्र तिग्गा ने प्रस्तुति दी। उद्यानिकी महाविद्यालय और अनुसंधान केन्द्र, जगदलपुर के अधिष्ठाता डाॅ. अश्वनी ठाकुर ने छत्तीसगढ़ के बस्तर पठारी क्षेत्रों में प्रक्षेत्रों की उपलब्धियों और उभरते मुद्दों पर प्रस्तुति दी। प्रक्षेत्र गतिविधियों की प्रगति और उभरते मुद्दों पर निदेशक प्रक्षेत्र डाॅ. पी.के. चंद्राकर ने प्रस्तुति दी गई। अनुसंधान उपलब्धियों की प्रगति और उभरते मुद्दों पर संचालक अनुसंधान सेवाएं डाॅ. विवेक त्रिपाठी ने प्रस्तुति दी। विस्तार सेवाओं की उपलब्धियों की प्रगति एवं उभरते मुद्दों पर निदेशक विस्तार सेवाएं डाॅ. आर.के. बाजपेयी ने प्रस्तुति दी। कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डाॅ. जी.के. श्रीवास्तव ने छात्र कल्याण गतिविधियों और उपलब्धियों पर प्रस्तुति दी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की वित्तीय उपलब्धियों पर लेखानियंत्रक आर.पी.एस. चैहान ने प्रस्तुति दी।