राजस्थान (Rajasthan) में राजकीय सेवा में रहते हुए शैक्षणिक अवकाश (study leave) जाने वाले कर्मचारियों के लिए राज्य सरकार ने नए नियम जारी किए हैं. गहलोत सरकार (gehlot government) ने राजकीय सेवा के कर्मचारियों (government employees) के लिए संशोधित नियम जारी किए हैं जिसके मुताबिक 52 साल से अधिक उम्र वाले कर्मचारियों को अब शैक्षणिक कार्यों के लिए अवकाश नहीं दिया जाएगा. राज्य के वित्त विभाग ने इस संबंध में संशोधित आदेश जारी कर दिए हैं.
वित्त विभाग के नए आदेशों के मुताबिक ऐसे कार्मिक जो शैक्षणिक अवकाश पर जाना चाहते हैं उन्हें अब अवकाश शैक्षणिक कार्य की विभाग में उपयोगिता को देखने के बाद विभागीय अध्यक्ष की तरफ से दी जाएगी. वहीं इस अवकाश के बाद नौकरी शुरू करने पर ही इस अवकाश के दौरान मिलने वाली पेंशन व अन्य राजकीय सुविधाओं का लाभ लिया जा सकता है.
50 फीसदी से ज्यादा पद खाली होने पर अनुभव में मिलेगी छूट
वहीं गहलोत सरकार ने कहा है कि सरकारी कार्यालयों में मंत्रालयिक संवर्ग के पदों पर प्रमोशन के दौरान अगर 50 फीसदी पद खाली हों और अनुभव में छूट दिए जाने के बाद भी पद खाली रहते हैं तो एक साल की अतिरिक्त छूट दी जाएगी. राज्य के कार्मिक विभाग के मुताबिक त्यागपत्र या सेवानिवृत्ति के जरिए खाली होने वाले पदों पर विभागीय समिति के जरिए पदोन्नति होगी. बता दें कि नए संशोधन के तहत कार्मिक विभाग ने सभी विभागों को आने वाले वित्तीय वर्ष 2022-23 में पदोन्नति के लिए निर्देश जारी हुए हैं.
कर्मचारियों को मिलेगी पढ़ने के लिए स्टडी लीव
इसके अलावा गहलोत सरकार ने स्टडी लीव के नियमों में भी बदलाव किए हैं. सरकार ने कहा है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी जनहित से जुड़े किसी विषय पर आगे पढ़ाई करना चाहता है तो उसे स्टडी लीव दी जाएगी. वहीं आदेश में यह भी साफ किया गया है कि कोई भी कर्मचारी व्यक्तिगत अध्ययन या शोध के लिए स्टडी लीव नहीं ले सकता है.
वहीं नए नियमों के मुताबिक जो कर्मचारी स्टडी लीव ले रहे हैं वह लीव से लौटकर काम पर आने के बाद उनकी सर्विस में सेवानिवृत्ति से पहले 5 साल बाकी रहने भी जरूरी हैं.
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