गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में नहीं दिखेगी बंगाल की झांकी, केंद्र और बंगाल सरकार आमने-सामने

गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी दिल्ली में होने वाले समारोह में बंगाल की झांकी (Bengal Tableau) नहीं दिखेगी. केंद्र ने अभी तक इस संबंध में राज्य को कोई पत्र नहीं भेजा है लेकिन इस संबंध में हाल ही में रक्षा मंत्रालय की बैठक में बंगाल के प्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया गया था.आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस बार गणतंत्र दिवस की थीम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ है. यह थीम आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर है. इस बीच ममता बनर्जी सरकार का फोकस नेताजी पर था क्योंकि, यह सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती है.

इस बीच, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर पश्चिम बंगाल की झांकी शामिल करने का अनुरोध किया है. लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में पश्चिम बंगाल को टैब्लॉयड में शामिल करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था.

नेताजी को लेकर बंगाल सरकार ने भेजी है झांकी

जानकारों का सवाल है कि बंगाल और नेताजी का स्वतंत्रता से गहरा नाता है. उसके बाद भी बंगाल की झांकी को गणतंत्र दिवस समारोह से क्यों हटा दिया गया.इस साल बंगाल टैबलो के जरिये स्वतंत्रता सेनानियों, बंगाल के क्रांतिकारियों, खासकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भूमिका को उजागर करना चाहता था. डिजाइन 3डी था. झांकी में नेताजी के ध्वजारोहण से रवींद्रनाथ-सुभाष युगल की एक जोड़ी दिखाई गई. आजाद हिंद वाहिनी का इतिहास भी था.

रक्षा मंत्रालय की बैठक में बंगाल को नहीं किया गया आमंत्रित

जानकारी के अनुसार टैबलो की थीम-स्टेट योजना पर रक्षा मंत्रालय नियमित बैठकें करता रहा है. उन सभी बैठकों में दिसंबर तक बंगाल को आमंत्रित किया गया है, लेकिन अज्ञात कारणों से बंगाल को जनवरी से उन बैठकों में आमंत्रित नहीं किया गया है. गौरतलब है कि 2020 में भी ऐसा ही हुआ था. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ड्रीम प्रोजेक्ट कन्याश्री को उस साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली थी. उस परियोजना के टैबलो राज्य सरकार द्वारा बनाए गए थे, लेकिन गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में उसे शामिल होने का मौका नहीं मिला.

टीएमसी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

इस विषय पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र बोस ने कहा, “नेताजी का सम्मान करने से पहले उनके आदर्शों को समझना होगा. उनके आदर्शों पर अमल होना चाहिए. लेकिन मौजूदा विभाजनकारी राजनीति देश के भीतर विभाजन पैदा कर रही है. नेताजी की झांकी के बिना गणतंत्र दिवस की परेड अधूरी है. वहीं तृणमूल के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने भी इसकी निंदा की. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “केंद्र के फैसले ने नेताजी की लड़ाई का अनादर किया. यह शर्मनाक है.”

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