7 महीनों बाद रूस से उदयपुर के मजदूर का शव आएगा भारत, परिवार ने लगाए हाईकोर्ट से लेकर विदेश मंत्रालय तक चक्कर

राजस्थान  के उदयपुर जिले से काम की तलाश में रूस गए गोड़वा गांव निवासी हितेन्द्र गरासिया का शव भारत आने का रास्ता साफ हो गया है. इस मामले में जोधपुर की एक अदालत को बुधवार को सूचना मिली है कि रूस सरकार  मॉस्को में दफनाए गए राजस्थान के व्यक्ति हितेंद्र गरासिया के शव को कब्र से निकाल कर परिजनों को सौंपने के लिए तैयार है. अब राजस्थान से रोजगार की तलाश में विदेश गए एक शख्स को आखिरकार अंतिम संस्कार के लिए अपनी गांव की दो गज जमीन मिल सकेगी.

बता दें कि रूस में काम करने गए हितेन्द्र गरासिया का बीते 17 जुलाई 2021 को संदिग्ध परिस्थितियों में रूस में लावारिस हालत में शव मिला था जिसके बाद मॉस्को (Moscow) में शव को दफना दिया गया था, वहीं पिछले करीब 7 महीनों से परिवार उनके शव को भारत लाने की लड़ाई राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan high court) में लड़ रहा था.

न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने आदेश दिए कि रूस सरकार से शव मिलने के बाद केंद्र और राजस्थान सरकार आगे की प्रक्रिया को पूरा करेगी और जल्द से जल्द शव परिजनों के पास उदयपुर के गोड़वा गांव पहुंचाया जाएगा.

परिवार ने लड़ी 7 महीने लंबी लड़ाई

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी ने भारतीय दूतावास मिले रूस सरकार के पत्र के हवाले से बताया कि रूस में शीतकालीन अवकाश चल रहे हैं जिसके चलते शव अभी अधिकृत अधिकारी को सौंपा नहीं गया है. रोहतगी ने अदालत को आश्वासन दिया कि मृतक के शव को दो से तीन दिनों के अंदर नियुक्त एजेंट को दिया जाएगा.

मालूम हो कि गरासिया के शव को रूस सरकार ने वहीं दफनाने का फैसला किया था जिसके बाद परिवार ने शव वापस भारत लाने की गुहार रूसी दूतावास से लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाया. बता दें कि परिजनों ने काफी दिनों तक रूसी दूतावास के सामने शव की मांग पर धरना भी दिया था.

रस्तोगी ने अदालत में यह भी बताया कि शव को पिछले साल 3 दिसंबर को मॉस्को में एक कब्रिस्तान में दफना दिया गया था लेकिन अब आवश्यक औपचारिकताएं और प्रक्रिया पूरी करने के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया जाएगा.

रूस सरकार ने लगातार करती रही आनाकानी

वहीं इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में बीते दिसंबर में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हितेन्द्र गरासिया के शव को रूस में दफनाने के निर्णय पर भारत सरकार को स्वीकृति देने पर रोक लगाई थी और भारत सरकार के विदेश सचिव को इस मामले में कूटनीतिक स्तर पर समाधान निकालने के आदेश दिए थे. इसके साथ ही कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रूस सरकार को नई दिल्ली स्थित रूस के भारतीय दूतावास की ओर से जवाब देने के लिए बुलाया था लेकिन रूस सरकार की तरफ से कोई भी प्रतिनिधि कोर्ट नहीं पहुंचा था.

गौरतलब है कि 46 वर्षीय हितेंद्र गरासिया किसी एजेंट के जरिए वह 23 अप्रैल 2021 को रूस गए थे जहां उन्हें टेलरिंग का काम मिला था. कुछ महीने बीत जाने के बाद 17 जुलाई को रूस पुलिस को हितेंद्र गरासिया का शव लावारिस हालत में सड़क पर मिला. बता दें कि हितेंद्र की मौत को लेकर रूस की तरफ से अभी तक कुछ भी जानकारी नहीं दी गई है. वहीं परिजनों का आरोप है कि हितेंद्र की रूस में हत्या की गई है.

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