ऑनलाइन वेबीनार ‘मन के गोठ’ में युवाओं ने जाना मानसिक स्वस्थता का गुर

रायपुर08जनवरी (वेदांत समाचार)।  मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं और उनके निवारण के लिए देश की युवा पीढ़ी को जागरूक रहने की जरूरत है। इसी के मद्देनजर स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राओं के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मेंटल वेल बीइंग वेबीनार “मन के गोठ “ का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय, नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित ऑनलाइन वेबीनार में देशभर के मनोचिकित्सक विशेषज्ञों ने छात्रों को मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने का गुर बताया। साथ ही उनकी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कोविड महामारी को लेकर उनकी मानसिक स्वास्थ्य जिज्ञासाओं को शांत भी किया।


इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में सहायता पहुंचाने के लिए नई दिल्ली पीएसए डिवीजन , पुणे स्थित सीडेक (C-DAC) एवं निम्हांस बैंगलुरू द्वारा तैयार किया गया “मानस एप्लीकेशन” के बारे में भी बताया गया। वेबीनार के माध्यम से विशेषज्ञों ने अपने अनुभवों को साझा कर मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के उपाय भी बताए। इस दौरान छात्रों को स्वंय के मानसिक स्वास्थ्य एवं अपने आसपास के मानसिक रूप से अस्वस्थ्य लोगों को पहचानने और उनका इलाज मुहैय्या कराने संबंधी जानकारी भी दी।

विशेषज्ञों ने बताए मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के गुर- वेबीनार में मुख्य रूप से साइंटिस्ट एफपीएसए ऑफिस, भारत सरकार डॉ. केतकी बापट ने कहा कोविड महामारी ने सभी को अशांत कर दिया है। ऐसे समय में मानसिक सुदृढ़ता की बहुत जरूरत है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए सरकार द्वारा कई तरह की सुविधाएं एवं सहायता प्रदान की जा रही है । मानसिक स्वास्थ्य सहायता और सेवाओं का लाभ लेने के लिए निम्हांस बैंगलुरू एवं पुणे स्थित सीडेक के सहयोग से मानस ऐप तैयार किया गया है। ऐप के जरिए मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने में लोगों को सहायता मिलेगी। इस दौरान डॉ. केतकी ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए छ्त्तीसगढ़ में किए जा रहे कार्यों की सराहना की। साथ ही युवाओं से आत्मबल को बढ़ाने, सकारात्मक सोच को रखते हुए कार्य करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में कार्यकारी संचालक सीडेक, बेंगलुरू के डॉ. एस. डी. सुदर्शन ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के लिए किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला। इस दौरान वहीं नेशनल प्रोफेशनल ऑफिस, मेंटल हेल्थ से डॉ. आत्रेई गांगुली ने युवाओं को अपने लक्ष्य पर अडिग रहने और सकारात्मक सोच रहकर मानसिक अस्वस्थता पर विजय पाने की अपील की। उन्होंने युवाओं से नवीन तकनीकों के जरिए स्किल को बढ़ाने और नकारात्मक सोच को त्यागकर सकारात्मक जीवन जीने की अपील की।

निम्हांस बेंगलुरू के प्रोफेसर डॉ. नवीन कुमार और एएफएमसी पुणे की साइंटिस्ट डॉ. कल्पना श्रीवास्तव, पंडित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की डॉ. सुरभी दुबे एवं डॉ. प्रीति सिंह ने भी मानसिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से उबरने के उपायों की जानकारी दी।

सफलता की कहानी ने किया प्रभावित- छत्तीसगढ़ के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे विशेषज्ञों ने अपनी सफलता की कहानी लोगों से साझा की। सूरजपुर के विशेषज्ञ डॉ. राजेश पैकरा, नारायणपुर की प्रीती चांडक, कोरिया के परमेश्वर प्रसाद एवं जांजगीर-चांपा से नमिता ताम्रकर ने सुदूर ग्रामीण और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आए चुनौतियों का सामना करते हुए मानसिक स्वास्थ्य पर अपनी सफलता की कहानी साझा कर लोगों को प्रभावित किया।

वेबीनार में उप संचालक राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम डॉ. महेन्द्र सिंह ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के प्रति जागरूक करने की आज जरूरत है। जन जागरूकता के जरिए ही शारीरिक समस्या के समान ही मानसिक समस्या को समझकर उसका निदान किया जा सकता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुमी जैन ने किया। वेबीनार में छात्र-छात्राओं के अलावा मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत पदस्थ प्रशिक्षित चिकित्सा अधिकारी, क्लिनिकल साइक्रेट्रिक, सोशल वर्कर, साइकेट्रिक नर्स एवं कम्युनिटी नर्स शामिल हुए।