बिलासपुर 03 जनवरी (वेदांत समाचार)। शहरी क्षेत्र में लगातार आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इसका खामियाजा लोगों को सहना पड़ रहा है। सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) और जिला अस्पताल के आकड़ों के मुताबिक रोजाना औसतन डाग बाइट के 40 से 50 मामले सामने आ रहे हैं। इसमे भी बेसहारा कुत्ते सबसे ज्यादा अपना शिकार छोटे बच्चों को बना रहे हैं। इससे शहरी क्षेत्र में दिनोदिन कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है।
नगर निगम के आकड़ों के मुताबिक कोरोना काल के पहले शहरी क्षेत्र में 5,800 कुत्ता की संख्या थी पर कोरोना काल की वजह से कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने कोई भी कदम नहीं उठाया गया। बधियाकरण भी बंद कर दिया गया। साथ ही कुत्ते पकड़ने का अभियान भी बंद कर दिया गया। वहीं अब इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि अब कुत्तों की संख्या बढ़कर आठ हजार से पार हो गई है।
जिसकी वजह से डाग बाइट के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों के रोजाना केवल शहरी क्षेत्र में कुत्ते काटने के 40 से 50 मामले हो रहे हैं। इसमे डरने वाली बात यह है कि ये ज्यादातर छोटे बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं। आकड़ों के मुताबिक रोजाना 20 से 25 बच्चों को कुत्ते काट रहे हैं। कई बार इसकी वजह से बच्चे गंभीर रूप से भी घायल हो जा रहे हैं। लगातार इस तरह के मामले होने के बाद भी नगर निगम प्रबंधन बेसुध बना हुआ है। जिसकी वजह से लगातार कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है और लोग कुत्ते काटने का शिकार होते जा रहे हैं।
निजी अस्पताल में आने वालों मामलों का कोई रिकार्ड नहीं
कुत्ते काटने के रोजाना के 40 से 50 मामले सरकारी अस्पतालों के हैं। वहीं निजी अस्पताल में कुत्ते काटने के पहुचने वाले मामलों के कोई भी रिकार्ड नहीं है। जबकि शहरी क्षेत्र में 150 से ज्यादा छोटे बड़े नर्सिंग होम हैं। जिनकी रोजाना ओपीडी चलती है। जहां भी रोजाना कुत्ते काटने के मामले पहुंच रहे हैं।
रात में हो जाते हैं हिंसक, झुंड में करते हैं हमला
रात होते ही सड़क किनारे रहने वाले कुत्ते हिंसक हो जाते हैं, जो बाकायदा झुंड बनाकर आने जाने वाले लोगों को दौड़ते है और मौका मिलते ही डाग बाइट का शिकार बना लेते हैं। इसी वजह से सरकारी अस्पताल के आपातकालीन में रोजाना कुत्ता काटने के मामले पहुंचते हैं।
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