रायपुर 31 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। प्रदेश में शराबबंदी की मांग लंबे समय से की जा रही है। कांग्रेस की घोषणापत्र में भी यह शामिल रहा है। इसके लिए समिति भी बनाई गई है, लेकिन तीन साल बाद भी समिति की रिपोर्ट सामने नहीं आई। इन सबके बीच शराबबंदी की मांग को लेकर रायपुर जिला पंचायत के पूर्व सदस्य और सभापति मुरारी मिश्रा ने आंदोलन और जनजागरण अभियान शुरू कर दिया है। सैकड़ों ग्रामीणों के साथ चटवापुरी धाम से पदयात्रा शुरू हो गई है।मुरारी मिश्रा पिछले 12 वर्षों से शराबबंदी की मांग को लेकर जनजागरण अभियान चलाते आ रहे हैं। पहली बार उन्होंने शराब छोड़ाबो, गांव बचाबो का नारा देकर इसे आंदोलन का रूप दिया है।
छत्तीसगढ़ में शराब बंदी के खिलाफ इकलौते जनआंदोलन के साथ जनजागरण अभियान चला रहे मूलत: भाटापारा ब्लाक के घुड़सेना ग्राम निवासी मुरारी मिश्रा ने 28 दिसंबर से बेमेतरा जिले के चटवापुरी धाम से पदयात्रा शुरू की है। चटवापुरी किरितपुर, कटिया, जेवरा, पथर्रा, मटका गांव से होकर करीब 35 किलोमीटर तक यह पदयात्रा निकली। जिस गांव से यह पदयात्रा निकली, वहां की महिलाएं-पुरुष स्वत: शामिल होते गए। हालांकि इस बार मौसम खराब होने के कारण महिलाएं कम संख्या में शामिल रहीं।
गांव में गुजारी रात
एक गांव से दूसरे गांव तक दिन भर की पदयात्रा के बाद रात होने पर मुरारी मिश्रा उसी गांव के सार्वजनिक भवन में साथियों के साथ रुक जाते हैं। गांव वाले जो खाना खिला दिए, उसे खाकर सभी सो जाते हैं। फिर दूसरे दिन सुबह उनकी पदयात्रा आगे के लिए निकल पड़ती है। इस दौरान जनसंपर्क और संगोष्ठी के जरिए शराब से बर्बाद होते छत्तीसगढ़ के बारे में समझाने के साथ ही शराबबंदी के आंदोलन से जुड़े युवाओं का शाल-श्रीफल से सम्मान भी करते हैं। चार साल पहले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल भी उनकी पदयात्रा में शामिल हो चुके हैं।
1,255 किमी की पदयात्रा
गुरु घासीदास बाबा का संदेश-शराब मुक्त हो हमर प्रदेश के आदर्शों पर चलने वाले मुरारी मिश्रा ने शराबबंदी के आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पिछले 12 सालों में भाटापारा के 107 और सिमगा ब्लाक के 125 गांव समेत कुल 407 गांव के 1,255 किलोमीटर की पदयात्रा कर चार लाख से अधिक लोगों के बीच शराब के खिलाफ जनजागरण फैला चुके हैं। नए साल 2022 के शुरुआत में आसपास के तीन सौ गांवों के दो हजार महिला-पुरुषों के साथ मुरारी मिश्रा भाटापारा से रायपुर तक पदयात्रा करने की रणनीति बना रहे है। राजधानी पहुंचने पर मुख्यमंत्री से मिलकर शराबबंदी की मांग को जोरशोर से उठायेंगे।
शराबबंदी का सरकार का वादा फेल
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा वचन पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था। इस वादे के कारण 15 साल के बाद आम जनता ने कांग्रेस को भारी मतों से जिता कर सत्ता सौंपी थी, लेकिन दुखद है कि सरकार के तीन साल पूरे हो जाने के बाद भी शराबबंदी नहीं की गई है। जबान देने के बाद भी सरकार शराबंदी को टालती आ रही है।
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