आधार, पैन को मिलाकर कारोबारों और लोगों के लिए बनाई जाए एक ID, बिजनेस करना होगा आसान: पीयूष गोयल…

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कारोबारों और लोगों के लिए मौजूदा समय में मौजूद कुछ आइडेंटिफिकेशन नंबरों को मिलाकर एक आईडी नंबर बनाने की बात कही है. उनका कहना है कि कई आइडेंटिफिकेशन नंबरों जैसे आधार, परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन), टैक्स डिडक्शन एंड कलेक्शन अकाउंट नंबर (TAN) का मर्जर करके एक नंबर बनाया जाना चाहिए, जिससे सेवाओं की डिलीवरी आसान और तेज बन सकें.

गोयल ने यह बयान 22 दिसंबर को कंप्लायंस का दबाव घटाने के लिए सुधारों के अगले चरण पर राष्ट्रीय वर्कशॉप में बोलते हुए दिया. उन्होंने कहा कि सरकार अब ऐसे बड़े सुधारों को करने के चरम पर है, जिसने अनुपालन के दबाव में बड़ी कटौती हो सके.

सरकार ने कोराबार को आसान बनाने के लिए उठाए कई कदम: गोयल

गोयल ने कार्यक्रम के दौरान इस बात पर जोर दिया कि अब तक सरकार द्वारा 25,000 से ज्यादा अनुपालन कम हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि ये केंद्र द्वारा कारोबार करने को आसान बनाने के लिए लागू विभिन्न कामों के जरिए हुआ है. इससे पहले भी सरकार से संबंधित कई लोग लोगों और कारोबारों के लिए एक आइडेंटिफिकेशन नंबर का सुझाव दे चुके हैं. लेकिन आइडिया पर शुरुआती बातचीत के बाद इस पर अमल नहीं किया जा सका. क्योंकि कारोबारियों के बीच इसे लेकर कोई उत्साह नहीं दिखा.

टेक्नोलॉजी को समाधान बताते हुए, गोयल ने कहा कि टेक्नोलॉजी इस क्षेत्र में सरकारी योजनाओं में मदद और सहयोग करेगी. न कि यह अनुपालनों को और जटिल बनाएगी. मंत्री ने कई सेवाओं को मिलाने की भी बात की, जैसे डिजिलॉकर और नेशनल विन्डो सिस्टम, जिससे बार-बार दोहराई जाने वाली प्रक्रियाओं को सही किया जा सके. इसके साथ अंतरों को घटाया जाए और मंजूरी के लिए अप्लाई करते समय रूकावटों को खत्म किया जा सके.

आय में असमानता को सर्विस की डिलीवरी में ध्यान रखने की जरूरत: गोयल

मंत्री ने पॉलिसी बनाने वालों से सेवाओं की डिलीवरी की योजना बनाते समय आय में बड़ी असमानता, शिक्षा का स्तर और इंफ्रास्ट्रक्चर में कमियों, खासकर कनेक्टिविटी को ध्यान में रखने को भी कहा. उन्होंने खासकर टेक्नोलॉजी शामिल है, तो यह करने को कहा है. गोयल ने यह भी कहा कि लीगल मैट्रोलॉजी का गैर-अपराधीकरण करने की तुरंत जरूरत है.

गोयल ने क्षेत्र में बड़ी मुहिमों के लिए व्यवस्था पर निगरानी रखने की भी बात कही. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि योजनाओं और कार्यक्रमों की निगरानी जिस समस्या का वे समाधान करना चाहती हैं, उनके मुकाबले ज्यादा मुश्किल नहीं बननी चाहिएं.