राजस्थान में लगातार बढ़ रहा है दलितों पर अत्याचार, हैरान करने वाले हैं 5 साल के आंकड़े..

राजस्थान सरकार हाल में अपने 3 साल पूरे होने पर सफलता का जश्न मना रही है वहीं दूसरी ओर प्रदेश में अपराधियों के हौंसले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के इतर देखें तो राजस्थान में अपराध का ग्राफ लगातार चढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है.

हाल में लोकसभा में एक सवाल के उत्तर में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने एससी और एसटी के खिलाफ होने वाले अत्याचार में दर्ज हुए मामलों की जानकारी दी.

लोकसभा में मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश में पिछले 5 सालों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम) के तहत दर्ज मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है. बता दें कि राज्य मंत्री रामदास अठावले ने यह 14 दिसंबर को लोकसभा में दी. गौरतलब है कि साल 2016 में एससी और एसटी के खिलाफ 6,329 मामले दर्ज हुए जो 2020 में बढ़कर 8,744 पहुंच गए.

पिछले 5 सालों से लगातार बढ़ता अत्याचार का आंकड़ा

आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (निवारण की रोकथाम) के तहत 2016 में 6,329 मामले दर्ज हुए हैं. वहीं 2017 में 5222 मामले तो 2018 में 5563 मामले दर्ज किए गए. 2019 में 8418 मामले तो 2020 में, 8,744 मामले दर्ज हुए.

गौरतलब है कि एससी और एसटी पर दर्ज हुए मामलों में सजा की दर में गिरावट देखी गई है. आंकड़ों के मुताबिक देखें तो 2019 में 1,121 दोषी सजा तक पहुंचे जो 2020 में यह आंकड़ा घटकर 686 पर आ गया. ऐसे में हम देख सकते हैं कि एक साल में दर्ज किए गए कुल 8,744 मामलों में सजा की दर 7.84 प्रतिशत रही जो कि पिछले 5 सालों से सबसे कम है.

वहीं 2016 में एससी और एसटी के खिलाफ किए गए अपराधों में 680 मामलों में आरोप साबित हुए जो सालभर में दर्ज कुल मामलों का 10.74 फीसदी है. इसी तरह 2017 में दर्ज मामले में 1,845, 2018 में 712 , 2019 में 1,121 और 2020 में 686 मामलों में आरोप साबित हुए.

किस तरह के अपराधों में हुई बढ़ोतरी

लोकसभा से मिली जानकारी के मुताबिक राजस्थान में एससी एसटी समुदाय को कई तरह के अत्याचारों को झेलना पड़ा है. इन अपराधों में अंतर-जातीय विवाह से लेकर दूल्हे को घोड़ी के चढ़ने पर विवाद जैसी घटनाएं होती रही हैं.