रायगढ़ 23 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। भारत की केंद्र सरकार ने रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक में स्थित गारे पाल्मा सेक्टर – III कोयला खदान को छत्तीसगढ़ सरकार के उपक्रम छत्तीगढ़ राज्य विद्युत् उत्पादन कंपनी लिमिटेड को आबंटित किया है। इसका उद्देश्य राज्य की विद्युत् इकाइयों को इंधन के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है। इसी परिपेक्ष्य में पाल्मा सेक्टर – III कोयला खदान से उत्खनित कोयले का उपयोग छत्तीगढ़ राज्य के उपक्रम के मड़वा जिला जांजगीर – चांपा स्थित अटल बिहारी बाजपेयी विद्युत् तापग्रह में विद्युत् उत्पादन हेतु किया जा रहा है।
छत्तीगढ़ राज्य विद्युत् उत्पादन कंपनी ने गारे पाल्मा सेक्टर – III कोयला खदान से कोयला उत्खनन और उसके परिवहन के लिए अलग अलग कम्पनीओ को स्पर्धात्मक बोली के द्वारा नियुक्त किया है। कोयले के उत्खनन के लिए अदाणी ग्रुप की कंपनी गारे पाल्मा III कोल्यारी लिमिटेड को माइन डेवलपमेंट और ऑपरेशन का जिम्मा दिया है तथा खदान से रोबर्टसन रेलवे साइडिंग तक कोयले के परिवहन हेतु अन्य निजी संस्था जय अंबे रोड लाइन्स प्राइवेट लिमिटेड को छत्तीगढ़ राज्य विद्युत् उत्पादन कंपनी ने नियुक्त किया है। जिसका हर एक कांट्रेक्टर अलग है और उनका संचालन सरकार के जवाबदार अफसरों की देखरेख में होता है।
ऐसे मे गारे पाल्मा III कोल्यारी लिमिटेड द्वारा उत्पादित किये गए कोयले को जय अंबे रोड लाइन्स प्राइवेट लिमिटेड अपने और जिले के ट्रक यूनियन से ट्रको को भाड़े पर लेकर रोबर्टसन – घरघोड़ा रेलवे साइडिंग तक पहुंचाता है। यह स्पष्ट करना जरुरी है की जय अंबे रोड लाइन्स प्राइवेट लिमिटेड जो की एक निजी कंपनी है वह ट्रक के यूनियन के साथ बातचीत करके उनके किराये का निर्धारण डीजल के बदलते दाम के सन्दर्भ मे तय करता है – जिसमे कोयला उत्खनन करने वाले कांट्रेक्टर की कोई भी भूमिका नहीं है।
पिछले कुछ दिनो मे ट्रक यूनियन के प्रतिनिधियों ने परिवहन कांट्रेक्टर के सामने अपनी कुछ मांगे रखी है। यह उल्लेखनीय है कि परिवहन के किराये को लेकर जो मोल-भाव जय अंबे रोड लाइन्स प्राइवेट लिमिटेड और ट्रक के यूनियन के लोगो के बीच में हो रहा है वह उनका आपसी मुद्दा है और उसे अन्य कम्पनीओ से जोड़ना नहीं चाहिए।
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