नई दिल्ली 22 दिसम्बर(वेदांत समाचार)। देश में मानव तस्करी नासूर की तरह समस्या बन चुका है। कड़े प्रावधानी और जागरूकता अभियानों के बावजूद भी अपराधियों के हौसले पस्त नहीं हो रहे हैं। मानव तस्करी देश में सबसे तेजी से बढ़ता अपराध है। मानव तस्करी में कई तरह के अपराध शामिल हैं। इनमें यौन शोषण, जबरन श्रम, घरेलू दासता, जबरन शादी, अंगों को हटाना, बच्चों का ऑनलाइन यौन शोषण अन्य शामिल हैं। बीते कई दशकों से मानव तस्करी की प्रकृति और रूप लगातार बदलते रहे हैं। संसद के पटल पर रखी गई रिपोर्ट के अनुसार, मानव तस्करी के सबसे अधिक मामले तेलंगाना और महाराष्ट्र में रिपोर्ट किए गए। इन राज्यों में क्रमश : 184 और 184 मामले रिपोर्ट किए गए। केरल में मानव तस्करी के 166 मामले रिपोर्ट किए गए तो आंध्र प्रदेश में 171 मामले रिपोर्ट किए गए। उत्तर प्रदेश में 90 मामले रिपोर्ट किए गए तो पश्चिम बंगाल में 90 मामले रिपोर्ट किए गए। रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 140 मामले रिपोर्ट किए गए तो 110 मामले में आरोपपत्र दाखिल किया गया। इनमें से 33 मामले में दोषी साबित हुए। इस तरह से झारखंड में दोषसिद्ध होने की दर 19.2 फीसद थी। आंध्र प्रदेश में 171 में से 121 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किया गया। पांच मामलों में दोष साबित हुआ। यहां पर दोषसिद्ध होने की दर 8.2 फीसद रही। मध्य प्रदेश में मानव तस्करी के 80 मामले रिपोर्ट किए गए जिसमें से 71 में आरोपपत्र दाखिल किए गए। इस लिहाज से राज्य में मानव तस्करी के मामलों में दोषसिद्धि की दर 25 फीसद रही। दिल्ली में मानव तस्करी के 53 मामले रिपोर्ट किए गए जिसमें से 27 में आरोपपत्र दाखिल किया गया। इनमें से दो मामलों में दोष साबित हुआ। यहां पर दोषसिद्धि की दर चालीस फीसद रही। देश भर में 2020 में 1714 मामले रिपोर्ट किए गए जिसमें से 1402 में आरोपपत्र दाखिल किया गया। 49 मामलों में दोष साबित हुआ। इस तरह से देश भर में दोष सिद्ध होने का प्रतिशत 10.6 रहा।
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