तीन दिवसीय केशकाल एडवेंचर फेस्टिवल का समापन…

0 पर्यटकों ने कहा की हर सप्ताह हो इस प्रकार के कार्यक्रम

कोण्डागांव 20 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। रविवार को केशकाल में आयोजित तीन दिवसीय केशकाल एडवेंचर फेस्टिवल का समापन हुआ। इस एडवेंचर फेस्टिवल में कर्नाटक, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों के पर्यटकों के साथ राज्य के विभिन्न जिलों से भी पर्यटक शामिल हुए थे। ये पर्यटक 17 दिसम्बर को एडवेंचर कैम्प में शामिल हुए थे। जिन्हें जिला प्रशासन द्वारा अयोजित इस फेस्टिवल में जिले के पर्यटक स्थलों का भ्रमण कराया गया। जिसमें उन्हें जिले की प्राकृतिक, सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक विरासतों से परिचय कराया गया। इस उत्सव में एवरेस्ट पर फतह करने वाली बस्तर की पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ ने भी हिस्सा लिया था।

केशकाल के प्राकृतिक सौंदर्य ने जीता पर्यटकों का मन

इस फेस्टिवल में शामिल होने आये लोगों में कुछ ऐसे पर्यटक थे जो कि सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर एवं ट्रेवल ब्लॉगर भी थे। इन्हें फेस्टिवल में टाटामारी, मांझिनगढ़ के साथ मारी क्षेत्र में स्थित कुएंमारी, लिंगोदरहा, मासुलहूर, ढोलकुडुम जलप्रपातों को भी दिखाया गया। जिसे देखकर वे मंत्रमुग्ध रह गये थे। इसके संबंध में बैंगलुरू कर्नाटक से आये ट्रेवल माई नेशन के विधुर एवं अर्चना ने बताया कि वे इससे पूर्व कई पर्यटक स्थलों पर जा चुके हैं पर यह पहली बार है जब वे छत्तीसगढ़ आये हैं। यहां आने से पहले उन्होंने कभी कोण्डागांव एवं उसके पर्यटक स्थलों के बारे में सुना भी नहीं था। यहां आने के पश्चात् उन्हें कोण्डागांव के अद्भूत प्राकृतिक सौंदर्य से रूबरू होने का मौका मिला। मांझिनगढ़ के आदिमानव कालिन शैलचित्र एवं यहां का नजारा वे कभी नहीं भूल सकते। यह एक अनोखा अनुभव था। यहां पर जलप्रपातों एवं पुरातात्विक धरोहरों की प्रचुरता है। उनके साथ सभी का मन केशकाल में खो गया था।

पुरातात्विक धरोहरों को मिलेगी नई पहचान

पश्चिम बंगाल से आये ऑफ बियर एंड अनटोल्ड ब्लॉग के अग्नि एवं अमृता ने कहा कि कोण्डागांव में मांझिनगढ़, भोंगापाल, गोबराहीन, बड़ेडोंगर, गढ़धनोरा में पांचवी से सातवीं शताब्दी एवं उससे पूर्व के भी पुरातात्विक धरोहरों के विषय में उन्हें जानने का मौका मिला। जिनमें भोंगापाल का बौद्ध विहार एवं उससे जुड़ी कहानियां अपने आप में विलक्षण है। प्राकृतिक के साथ यहां की पुरातात्विक विरासतों को भी सहेजने में इस प्रकार के उत्सवों की अहम भूमिका होगी। हम अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं कि हमें इस उत्सव का हिस्सा बनने एवं कोण्डागांव की सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक धरोहरों को जानने का मौका मिला।

पर्यटकों ने जानी आदिम संस्कृति की विशेषताएं

इस फेस्टिवल में पर्यटकों के सारथी बने केशकाल के लाल बहादुर ने बताया कि पर्यटकों को प्राकृतिक एवं पुरातात्विक विशेषताओं के अलावा जिले की सांस्कृतिक एवं जनजातिय विरासतों से भी अवगत कराया गया है। जिसमें टाटामारी में प्रति रात्रि जनजातिय नृत्यों का आयोजन किया गया साथ ही पारधी जनजाति के ग्रामों का दौरा कराकर सभी पर्यटकों को स्थानीय जनजातिय व्यंजन एवं भोजन ही दिये गये। उन्हें नाश्ते से लेकर भोजन तक सभी में जनजातिय आहार ही प्रदान किया गया था।

एडवेंचर स्पोर्ट में जिले के लोगों ने दिखाई दिलचस्पी

इस फेस्टिवल के मुख्य आकर्षण के रूप में एडवेंचर स्पोर्टस जैसे रॉक क्लाईबिंग, जीपलाईन, रेपेलिंग, आर्चरी, कैंपिंग, ट्रेकिंग, रिवर क्रॉसिंग का आयोजन किया गया था। जिसका आनंद आये पर्यटकों के साथ जिले के निवासियों द्वारा भी लिया गया। जिसमें बच्चों के लिए बर्मा ब्रिज भी बनाया गया था। जिसका बच्चों ने जमकर आनंद लिया। जिसके संबंध में लाल बहादुर ने बताया कि शुरूवात में पहले दिन लोगों में इन गतिविधियों के प्रति जिज्ञासा थी परन्तु इन्हें करने वाले लोगों की संख्या कम रही परन्तु दूसरे एवं तीसरे दिन शासकीय अवकाश होने के कारण जिले के साथ-साथ कांकेर, जगदलपुर आदि जिलों से भी पर्यटक बड़ी संख्या में आकर लोगों ने इन गतिविधियों का आनंद लिया। दूसरे और तीसरे दिन हजार से अधिक पर्यटकों के आने का सिलसिला जारी रहा था। जिसमें 300 से अधिक लोगों ने इन गतिविधियों का आनंद लिया।

शिल्पनगरी में लाइव शो में शिल्प निर्माण को देखा

फेस्टिवेल के दूसरे दिन पर्यटकों को कोण्डागांव स्थित शिल्पनगरी का भ्रमण कराया गया। जहां स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा लाइव शो के माध्यम से बेलमेटल शिल्प निर्माण का प्रदर्शन किया गया। जहां पर्यटकों द्वारा सूक्ष्म रूप से शिल्प निर्माण प्रक्रिया का अवलोकन किया गया। इसके साथ ही पर्यटकों द्वारा शिल्पनगरी में एक्जीबिशन शोरूम में जाकर जिले के शिल्पकारों द्वारा निर्मित अभूतपूर्व शिल्पकृतियों को देखा एवं कई पर्यटकों द्वारा इन कलाकृतियों का क्रय भी किया गया।

ट्रेकिंग एवं कैंपिंग हेतु पुनः आने लोगों ने जताई इच्छा

इस फेस्टिवल में आये पर्यटकों ने यहां कैंपिंग एवं ट्रेकिंग हेतु की गई व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए जिला प्रशासन एवं केशकल ईको टूरिज्म की टीम का आभार जताया साथ ही ट्रेकिंग एवं कैंपिंग जैसे आयोजन हर सप्ताह अंत में कराने की सलाह दी। पर्यटकों ने इस वृहद् कार्यक्रम के प्रति हर्ष जताते हुए पुनः आयोजन होने पर फिर से आने की इच्छा जताई एवं कहा कि जिले में पर्यटन की आपार संभावनाएं हैं। इस प्रकार के उत्सव के माध्यम से जिले को पर्यटन मानचित्र में एक अलग पहचान प्राप्त होगी। इस कैंप में 45 पर्यटकों ने हिस्सा लिया था।