छत्तीसगढ़ 19 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। गरियाबंद जिले में 8 साल की बिंदिया पिछले 8 सालों से बिस्तर में ही है। वह न तो चल पाती है, न बोल पाती है। बिस्तर से भी नहीं उठ सकती। उसे बीमारी क्या है, इसका पता भी अब तक नहीं चल पाया। हैरानी की बात ये है कि अच्छे अस्पताल में उसका सरकारी इलाज अब इसलिए नहीं हो पा रहा, क्योंकि उसके पास आधारकार्ड नहीं है। इस मामले ने सरकारी दावों की पोल एक बार फिर से खोल कर रख दी है।
बिंदिया नागेश मैनपुर ब्लॉक के भरुवामुड़ा गांव की रहने वाली है। उसके पिता का नाम चंद्रशेखर और मां का नाम चितेमनी है। बिंदिया के मां-बाप का कहना है वो जन्म से ही इसी हालत में है। चंद्रशेखर ने बताया कि वह मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करता है। उसने अपनी हैसियत के मुताबिक आसपास के अस्पतालों में बेटी का इलाज कराया। मगर कोई फायदा नहीं मिला।
पूरी जमा पूंजी खर्च हो गई
चंद्रशेखर ने बताया कि वह अब अपनी सारी जमा पूंजी बेटी के इलाज में खर्च कर चुका है। लेकिन बेटी की सेहत में कोई सुधार नहीं आया। डॉक्टर उसे बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह देते हैं। आर्थिक तंगी के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रहा है। उसका कहना कि किसी अस्पताल में सरकारी योजना के तहत इलाज करवाने जाता हूं तो आधारकार्ड नहीं है कहकर अस्पताल वाले इलाज नहीं करते।
च्वाइस सेंटर वाले हाथ नहीं लगाते
चंद्रशेखर के मुताबिक, उसने कई बार बच्ची का आधारकार्ड बनवाने की कोशिश की थी। वह चल फिर नहीं पाती ना ही उठ पाती। इसलिए उसे लाना ले जाना भी मुश्किल है। ऐसे में उसने कार्ड बनवाने वालों को घर भी बुलाया। मगर कोई आने को तैयार नहीं है। इतना ही नहीं जब वह उसे च्वाइस सेंटर में कार्ड बनवाने लेकर जाता है, तो लोग उसे छूने से कतराते हैं।
परेशानी यहीं खत्म नहीं होती। अंतिम बार जब राशनकार्ड के लिए सत्यापन का काम किया गया तो आधारकार्ड नहीं होने की वजह से बिंदिया का नाम भी राशनकार्ड से काट दिया गया। उसे दिव्यांग पेंशन भी नहीं मिल पा रही है। चंद्रशेखर ने अब मीडिया के जरिए प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। राज्य में स्वास्थ्य कार्ड, राशनकार्ड और आयुष्मान कार्ड से भी लोगों का इलाज किया जा रहा है। मगर इन सभी कार्ड से इलाज के लिए आधारकार्ड जरूरी है।
डॉक्टर्स की टीम भेजेंगे
इस मामले को लेकर जिले के CMHO डॉ.NR नवरत्ने का कहना है कि तस्वीर देखकर आशंका है कि बिंदिया को सेरेब्रल पाल्सी नामक जन्मजात रोग हो सकता है। उन्होंने बताया कि गर्भ में यह बीमारी हो जाती है। लाखों में एक बच्चे में ही ऐसा होता है। वैसे बिंदिया का नाम चिरायू दल के पास होगा। सोमवार को डॉक्टरों की टीम भेज कर सही जानकारी लेकर हरसंभव मदद की जाएगी।
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