रायपुर । कोरोना की दूसरी लहर के बाद स्वास्थ्य सेवाओं को लगातार सुदृढ़ करने का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत जिला अस्पताल पंडरी बच्चों के लिए 42 बिस्तरों का विशेष अस्पताल बनने जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार से 8.5 करोड़ राशि मिली है। जिला अस्पताल कालीबाड़ी परिसर में बच्चों के लिए 12 बिस्तरों शिशु गहन चिकित्सा इकाई संचालित किया जा रहा है। यहां जन्म लेने वाले गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चों का इलाज किया जाता है। जरूरत को देखते हुए लंबे समय से गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चों के लिए विशेष अस्पताल बनाने की योजना थी। जिसपर जल्द कार्य शुरू किया जाएगा। यह विशेष अस्पताल सिर्फ बच्चों के लिए होगा। यह सभी आक्सीजन, आइसीयू वाले बिस्तर होंगे। हाईटेक तरीके से स्थापित होने वाले अस्पताल में बच्चों की सभी तरह की बीमारियों का इलाज नि:शुल्क उपलब्ध होगा।
जिला अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डाक्टर निलय मोझरकर ने बताया कि कोरोनाकाल के बाद तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच आयुर्वेद अस्पताल परिसर में जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा 50 बिस्तरों का अस्पताल स्थापित किया गया है। यहां पर हर दिन 15 से 20 बच्चे ओपीडी में पहुंचते हैं। वहीं आइपीडी में भी बीमार बच्चों को भर्ती कर बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। जनवरी से अब तक यहां 74 बच्चे भर्ती हुए। सभी स्वस्थ होकर लौटे हैं। इधर कालीबाड़ी जिला अस्पताल में बच्चों की ओपीडी में हर माह औसत 1500 बच्चों का इलाज की सुविधाएं दी जा रही।
केंद्र से मिली है राशि -बच्चों के लिए 42 बिस्तरों का विशेष अस्पताल पंडरी परिसर में बनेगा। इसके लिए केंद्र से राशि मिली है। जल्द ही अस्पताल निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा। -डाक्टर पीके गुप्ता, सिविल सर्जन,
जिला अस्पताल प्रदेश में 20 नए कोरोना संक्रमित, विदेश से लौटे 5 पॉजिटिव पिछले 24 घंटे में प्रदेश में कोरोना के 20 नए मरीज मिले हैं, जिनमें 3 राजधानी रायपुर का है। यही नहीं, विदेश से लौटकर आने वाले जो 5 लोग पाजिटिव पाए गए हैं, उनमें से तीन की जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट रिपोर्ट आज-कल में भुवनेश्वर से आने वाली है। इससे पहले, दो लोगों की रिपोर्ट आई थी जिसमें ओमिक्रान नहीं मिला था। दिसंबर के 17 दिनों में प्रदेश में 533 मरीज मिल चुके हैं। वहीं दो मरीजों की मौत हुई है। प्रदेश में अब तक 13595 मरीजों की मौत हो चुकी है। प्रदेश में नवंबर के आखिरी 17 दिनों में 487 मरीज मिले थे और 5 मरीजों की मौत हुई है। यानी दिसंबर में नवंबर की तुलना में 43 मरीज ज्यादा मिले हैं और 3 मरीजों की कम मौत हुई है। सीनियर चेस्ट फिजिशियन डॉ. आरके पंडा व सीनियर गैस्ट्रो सर्जन डॉ. देवेंद्र नायक के अनुसार ओमिक्रॉन तेजी से फैलता है, लेकिन मौत कम हो रही है। एक स्टडी में यह भी बात सामने आई है कि कई मरीजों को इसके लक्षण नजर नहीं आते। जैसे की डेल्टा व अन्य वैरिएंट में सर्दी, खांसी, बुखार, गले में खराश या सांस में तकलीफ होती है। अच्छी बात ये है कि प्रदेश में ओमिक्रॉन का एक भी केस नहीं मिला है। फिर भी पर्याप्त सावधानी बरतने की जरूरत है।
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