लखनऊ18 दिसम्बर(वेदांत समाचार)। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में कई विकास परियोजनाओं की शुरूआत की। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अनेक व्यक्ति उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 75 साल के बाद सहकारिता मंत्रालय बनाने का काम मोदीजी ने पूरा किया है। मोदीजी द्वारा इस मंत्रालय के गठन की घोषणा के साथ ही करोड़ों लोगों के साथ न्याय करने का काम हुआ है। बहुत सालों से देशभर की कोऑपरेटिव संस्थाओं को ये आस थी कि कभी तो कोई आएगा और सहकारिता को केन्द्र बिंदु में लाने के लिए सहकारिता मंत्रालय की रचना करेगा और मोदीजी ने देशभर के करोड़ों किसानों की इस इच्छा को आज़ादी के 75वें साल में पूरा करने का काम किया है।
अमित शाह ने कहा कि 2-3 दिन पहले काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर एक भव्य कॉरीडोर बनाकर पीएम मोदी ने न केवल देश बल्कि दुनियाभर के बाबा विश्वनाथ के भक्तों की इच्छापूर्ति का काम किया है। उन्होंने कहा वर्षों से चाहे वो रामजन्मभूमि परिसर हो, विंध्यवासिनी मंदिर हो, बाबा विश्वनाथ का परिसर हो, हिन्दू धर्मस्थानों के पुनर्रूद्धार और उनकी भव्यता को पुनर्स्थापित करने का किसी को विचार नहीं आता था क्योंकि सभी वोट बैंक की राजनीति करते थे। आप सभी के और विशेषकर उत्तर प्रदेश के समर्थन से पूर्ण बहुमत से मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हिंदू धर्मस्थानों का पुनर्रूद्धार होते हुए हम देख रहे हैं। ना जाने कितने लोगों ने इन धर्मस्थानों की रक्षा के लिए अपनी जान गंवाई। मोदी जी भारत के इतिहास में एक नया अध्याय आज़ाद लिखने जा रहे हैं क्योंकि मोदी जी तुष्टिकरण नहीं मानते हैं, सबसे साथ न्याय करना चाहते हैं।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि अगर देश के सभी पैक्स (PACS) का कम्प्यूटरीकरण कर दिया जाए तो इसमें घपले की संभावना ख़त्म हो जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने तय किया है कि देश के 65,000 पैक्स को कम्प्यूटराइज़्ड किया जाएगा और सभी को एक ही सॉफ़्टवेयर से जोड़ा जाएगा। पैक्स को ज़िला सहकारी बैंक से, ज़िला सहकारी बैंक को राज्य सहकारी बैंक से और राज्य सहकारी बैंक को नाबार्ड से जोड़ा जाएगा। उत्तर प्रदेश सहकारिता विभाग ने 46,000 से अधिक कोऑपरेटिव्स में परदर्शिता लाने के लिए बहुत बड़ा अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि जब मोदीजी ने सहकारिता मंत्रालय बनाया तब कई लोगों ने पूछा कि इससे क्या फ़ायदा होगा। कृषि ऋण वितरण का 19 प्रतिशत सहकारिता विभाग के माध्यम से होता है, लगभघ 35 प्रतिशत उर्वरक वितरण सहकारिता विभाग के माध्यम से वितरित होता है, खाद का उत्पादन 25 प्रतिशत सहकारी समितियों द्वारा होता है, दूध की खरीदी और उत्पादन 22 प्रतिशत सहकारिता के माध्यम से होता है, गेहूं की खरीदी 13 प्रतिशत, धान की खरीदी 20 प्रतिशत और 21 प्रतिशत मछुआरों का कामकाज सहकारिता विभाग के माध्यम से होता है। देश के ग्रामीण अर्थतंत्र के विकास में सहकारिता रीढ़ की हड्डी है जिसे मज़बूत करने का काम देश के प्रधानमंत्री जी ने किया है। देशभर में 8,55,000 सहकारी समितिया देश में अनेक क्षेत्रों में फैली हैं और छोटे-छोटे लोगों को जोड़कर बहुत बड़ा काम कर रही हैं।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि क्षेत्र के लिए बहुत काम किया है। उन्होंने एक व्यवस्था खड़ी की और हर साल देश के हर किसान को 6000 रूपए दिए। आज डेढ़ लाख करोड़ से ज़्यादा रूपए किसानों के खातों में पहुंचाने का काम मोदी जी ने किया। 10,000 नए एफ़पीओ बनाए गए, कई मंडियों को ई-मंडियों में परिवर्तित किया गया है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 45 लाख गन्ना किसानों को 1.40 लाख करोड़ रूपए के गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में 32,000 करोड़ रूपए उत्तर प्रदेश के किसानों को मिले हैं, 86 लाख किसानों का ऋण माफ़ किया है। उन्होंने कहा किसान का काम सबसे पहले होना चताहिए, किसान की आय दोगुनी होनी चाहिए, उनका विकास होना चाहिए, ये नरेन्द्र मोदी जी के लक्ष्य हैं। शाह ने कहा कि जो लोग परिवार और जाति की राजनीति करते हैं वे पारदर्शी सरकार नहीं चला सकते, जाति और परिवारवाद ही भ्रष्टाचार का जनक है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने सहकार भारती के 7वें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि सहकार भारती का उद्देश्य सहकारिता को मजबूत कर कर, सहकारिता की भावना को मजबूत कर कर देश के विकास में सहकारिता योगदान कर पाए, इस प्रकार का मजबूत आंदोलन बनाना है। लगभग 27 प्रदेश, 600 से भी ज्यादा जिले और अनेक प्रकार की सहकारिता के क्षेत्र में सहकार भारती ने अपने काम को पहुंचाया है। आज एक छोटा सा बीज जो बोया गया था उसको एक वटवृक्ष के रूप में यहां पर इस सभागार में हम देख रहे हैं और यहां आपके सातवें अधिवेशन में 600 जिलों से 3000 से ज्यादा प्रतिनिधि यहां आए हैं, वह बताता है कि सहकार भारती अपने काम को बढ़ाने में इतने सालों में कितना सफल हुए हैं। उन्होंने कहा कि बहुत सालों से देश भर के सहकारिता के साथ जुड़े हुए कार्यकर्ता, संगठन, सहकारी समितियां और अलग-अलग संगठनों की मांग थी कि सहकारिता को मजबूती प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के अर्थ तंत्र को गति देने में आने वाले दिनों में सहकारिता का योगदान बहुत बड़ा होने वाला है और आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न सहकारिता आंदोलन के अलावा सिद्ध ही नहीं हो सकता क्योंकि सहकारिता ही एक ऐसा जरिया है जो छोटे से छोटे व्यक्ति को सम्मान दिलाने, आय बढ़ाने का कारण हो सकता है। किसी एक देश का आर्थिक विकास कई सारे रास्तों से संभव हो सकता है मगर समग्र आर्थिक विकास, हर व्यक्ति का आर्थिक विकास के अंदर योगदान हो और आर्थिक विकास का फायदा हर व्यक्ति तक पहुंचे यह सहकारिता के सिवाय संभव नहीं है।
देश में कई सारे ऐसे राज्य हैं जहां सहकारिता आंदोलन आज बहुत अच्छा चल रहा है, जैसे, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश। मगर कई सारे राज्य ऐसे भी है जहां आती-जाती सरकारों के कारण सहकारिता आंदोलन लगभग समाप्ति की कगार पर है। देश के हर कोने, जिले, तहसील में 10-15 साल में हर गांव के अंदर सहकारिता का कोई ना कोई सफल यूनिट चले इस प्रकार से इस आंदोलन को गति देनी चाहिए। एक प्रकार से सभी सहकारी समितियों में आपको एक संस्कार का आरोपन करना पड़ेगा, इस संस्कार को हर समिति में तक पहुंचाना पड़ेगा तभी जाकर इस आंदोलन को गति मिल सकती है।
मोदी सरकार व्यापक विचार विमर्श के बाद एक नई सहकार नीति लाने के लिए कृतसंकल्प है और कुछ ही समय में सहकारिता मंत्रालय के माध्यम से इसकी गतिविधियों को हम शुरू करेंगे। इस सहकारिता के क्षेत्र में प्रशिक्षण की दृष्टि से आमूलचूल परिवर्तन करना है। अगर प्राइमरी मेंबर का प्रशिक्षण करेंगे तभी समितियां कंट्रोल में रहेगी, तभी समितियां जवाबदेह बनेंगी, तभी पारदर्शिता आएगी। उन्होंने कहा कि सहकार के क्षेत्र के अंदर नए नए आयाम कैसे जोड़े जा सकते हैं उसके लिए भी एक टास्क फोर्स काम कर रहा है, वह भी एक नए मसौदे के साथ कुछ समय में देश की जनता के साथ सामने आएगा। देशभर में अब प्राकृतिक खेती बढ़ने लगी है, जागरूकता भी बहुत आई है। उर्वरक के कारण भूमि की उर्वरता खत्म होती जा रही है, बहुत सारे लोग प्राकृतिक खेती की ओर आगे बढ़ रहे हैं। बहुत बड़ा मार्केट है ऑर्गेनिक फूड का मगर क्या कोई किसान इसका फायदा प्राप्त कर पाएगा। कोऑपरेटिव को आगे आना पड़ेगा, इसके परीक्षण की व्यवस्था, भूमि के परीक्षण की व्यवस्था, उसके उत्पाद के परीक्षण की व्यवस्था, उसके सर्टिफिकेशन की व्यवस्था और फिर मार्केटिंग का चयन करना होगा। हम पहले दो राज्यों को हाथ में लेंगे जहां पर ऑर्गेनिक खेती के मार्केटिंग की चेन की व्यवस्था होगी, जिससे ऑर्गेनिक फार्मिंग करने वाले को इसका पूरा फायदा कोऑपरेटिव के माध्यम से उसके बैंक अकाउंट में पहुंचाया जाएगा।
अमित शाह ने कहा कि मोदी जी स्वयं मानते हैं कि सहकारिता के बगैर इस देश का समविकास करना असंभव है और अब कोऑपरेटिव के साथ कोई भी दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं कर पाएगा और यह बहुत कम समय में दिखना भी शुरू होगा।
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