बाहरी प्रदूषण से कहीं ज्यादा खतरनाक है घर के अंदर का प्रदूषण, जानिए किस तरह सेहत को पहुंचाता नुकसान…

वायु प्रदूषण दुनियाभर में बड़ी संख्‍या में मौतों का कारण बन रहा है. इसके कारण हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवाते हैं. लेकिन चिंताजनक बात ये भी है कि वायु प्रदूषण के नाम पर हम सब केवल बाहरी प्रदूषण की चिंता ​जाहिर करते हैं, जबकि घर के अंदर होने वाला प्रदूषण भी बाहरी प्रदूषण जितना ही नुकसानदायक होता है. जैसे-जैसे हमारे आराम के साधन बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे इनडोर पॉल्यूशन हमें घेरता जा रहा है. जो कि हमारे लिए बहुत घातक है.

विशेषज्ञों की मानें तो आजकल हर घर में माइक्रोवेव, फ्रिज, एसी आदि होते हैं. इन उपकरणों से निकलने वाली गैस को क्लोरोफ्लोरोकार्बन कहा जाता है. क्लोरोफ्लोरोकार्बन वही गैस है, जिसे पृथ्वी की ‘छतरी’ के रूप में सुरक्षा कवच के तौर पर काम करने वाली ओजोन परत में सुराख के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है. इससे आप खुद ही समझ सकते हैं कि ओजोन की परत में सुराख करने वाली ये गैस मानव जीवन के लिए कितनी घातक हो सकती है. यहां जानिए इनडोर पॉल्यूशन से जुड़ी तमाम जरूरी बातें.

ये चीजें भी हैं इनडोर पॉल्यूशन की वजह

विशेषज्ञों की मानें ​तो सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ही वायु प्रदूषण नहीं पैदा करते, इनके अलावा एलईडी मोबाइल, वाईफाई और दीवारों के अंदर होने वाली वायरिंग भी इनडोर पॉल्यूशन के लिए जिम्मेदार मानी जाती है. आजकल घर के ज्यादातर सदस्यों के पास एक से ज्यादा मोबाइल होते हैं. इन मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन सीधे तौर पर कैंसर के खतरे को बढ़ाता है. इसका सीधा सा मतलब है कि घर में जितने ज्यादा मोबाइल, उतना ज्यादा रेडिएशन और उतना ही ज्यादा वायु प्रदूषण. कोरोना के बाद से हम में से ज्यादातर लोग अपना ज्यादा से ज्यादा समय अपने घरों में ही बिताते हैं. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि घर में जहरीली गैस और रेडिएशन के बीच रहकर हम खुद के साथ क्या कर रहे हैं. इसके अलावा छोटे कस्बों और गांवों में आज भी घर के अंदर लकड़ी, गोबर के कंडे आदि जलाए जाते हैं. ये भी इनडोर पॉल्यूशन की बहुत बड़ी वजह माने जाते हैं.

फ्लैट कल्चर ने दिया बढ़ावा

जनसंख्या बढ़ने के साथ इनडोर पॉल्यूशन भी तेजी से बढ़ा है. फ्लैट कल्चर ने इसे सबसे ज्यादा बढ़ावा दिया है. पहले के समय में घर खुले खुले बनते थे, लेकिन आजकल फ्लैट्स में वो खुलापन नहीं होता. ऐसे में वेंटीलेशन ठीक से नहीं हो पाता. इसके अलावा फ्लैट में एक के ऊपर एक कई अपार्टमेंट बनते हैं, हर फ्लोर पर सर्किट डाले जाते हैं. इसके कारण फ्लैट कल्चर ने घरेलू प्रदूषण को तेजी से बढ़ावा दिया है.

इनडोर पॉल्यूशन की वजह से हो रहीं ये बीमारियां

इनडोर पॉल्यूशन की वजह से लोगों को अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, खांसी, जुकाम, गले में में इंफेक्शन, साइनस और फेफड़ों से संबंधित तमाम बीमारियां हो रही हैं. जिनको पहले से सांस की बीमारी है, उनके लिए इनडोर पॉल्यूशन और भी जानलेवा स्थितियां पैदा कर रहा है. इतना ही नहीं, आजकल लोगों में चिड़चिड़ापन, शॉर्ट टेंपर होना, तनाव, नींद की कमी, डिप्रेशन आदि की समस्याएं काफी बढ़ गई हैं, इसका एक कारण इनडोर प्रदूषण भी है. दरअसल घर के अंदर मौजूद इलेक्ट्रिक चीजों से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पॉल्यूशन होता है, जोकि शरीर के लिए बहुत घातक होता है. इसलिए बाहरी प्रदूषण के साथ घर के अंदर के प्रदूषण को लेकर भी काफी सजग रहने की जरूरत है.

बचाव के लिए ये उपाय आजमाएं

 घर में खिड़की व दरवाजे खोलकर रखें ताकि हवा और धूप घर में आ सके और घर के अंदर नमी न रहे.

 फ्रिज को बेडरूम में रखने के बजाय ऐसे स्थान पर रखें जहां घर के सदस्य ज्यादा समय न बिताते हों.

 खाना बनाने के लिए चूल्हे के बजाय गैस का उपयोग करें. यदि चूल्हे का प्रयोग करना भी है तो किसी खुले स्थान पर करें.

 घर के अंदर इनडोर प्लांट लगाएं. साथ ही घर के बाहर भी गमलों और बगीचे में पेड़ लगाएं ताकि घर के अंदर शुद्ध हवा आ सके.

 इलेक्ट्रॉनिक चीजों का सीमित इस्तेमाल करें.

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