पश्चिम बंगाल में मनाई जाने वाली दुर्गा पूजा को मिली वैश्विक पहचान, UNESCO ने हेरिटेज लिस्ट में किया शामिल

नई दिल्ली, 16 दिसंबर । पश्चिम बंगाल में मनाई जाने वाली ‘दुर्गा पूजा’ को वैश्विक पटल पर एक नई पहचान मिली है। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र संघ की कल्चर यूनिट UNESCO ने बुधवार को बंगाल की दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल करने का ऐलान किया। ना सिर्फ भारत के लिए बल्कि खासतौर पर बंगाल के लोगों के लिए ये एक बहुत बड़ी खुशखबरी है।

यूनेस्को ने ट्वीट कर दी जानकारी

जानकारी के मुताबिक, यूनेस्को ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में 13 से 18 दिसंबर तक आयोजित होने वाले अपने अंतर सरकारी समिति के 16 वें सत्र के दौरान कोलकाता में मनाई जाने वाली दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया है। यूनेस्को के ऑफिशयल ट्विटर हैंडल की तरफ से भी ये जानकारी दी गई है।

https://twitter.com/UNESCO/status/1471077105261764610?t=bDrsTgI3jSAdfYlS7gqIRQ&s=19

10 दिन का पावन पर्व है दुर्गा पूजा

आपको बता दें कि बंगाल सरकार ने ही यूनेस्को से दुर्गा पूजा को विरासत की सूची में शामिल करने का आवेदन किया था। अब यूनेस्को ने इस आवेदन को स्वीकार कर लिया है। इससे बंगाल की दुर्गा पूजा को विश्व स्तर पर मान्यता मिल गई है। आपको बता दें कि हर साल दुर्गा पूजा का आयोजन सितंबर या अक्टूबर में किया जाता है। हिंदुस्तान में मनाया जाने वाला ये एक वार्षिक त्यौहार है। इसे खासतौर पर बंगाल के अंदर मनाया जाता है। ये 10 दिवसीय त्यौहार होता है। पूरे देश में इसे नवरात्रों के रूप में मनाया जाता है।

बंगाल की दुर्गा पूजा है विशेष

आपको बता दें कि देशभर में पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा की तर्ज पर इस पर्व का आयोजन किया जाता है। राजधानी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश एरिया में भी हर साल दुर्जा पूजा का आयोजन होता है और ये पूजा भी उतनी ही फेमस है, जितना की बंगाल में। बंगाल के अंदर तो दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता में खूब रौनक देखने को मिलती है। राजधानी के हर गली-चौराहे और सड़कों पर लाउडस्पीकर से मंत्रोच्चार सुनने को मिलते हैं। बंगाल के जिले-जिले में दुर्गा पूजा के पंडाल लगाए जाते हैं और हर साल इनकी थीम अलग-अलग होती है।

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