मोबाइल रिचार्ज के बाद अब ब्रॉडबैंक की बारी है. मोबाइल रिचार्ज की कीमतें बढ़ने के बाद आपके घर में केबल से आने वाले इंटरनेट के रेट बढ़ सकते हैं. इसके लिए ब्रॉडबैंड कंपनियां महंगाई का रोना रो रही हैं जैसा तर्क मोबाइल कंपनियों ने दिए थे. माना जा रहा है कि सस्ते टेलीकॉम टैरिफ के दिन अब लदने वाले हैं क्योंकि ब्रॉडबैंक कंपनियां भी इंटरनेट के प्लान के रेट बढ़ाने की तैयारी कर ली है.
ब्रॉडबैंड कंपनियों का कहना है कि अभी जिस दर पर वे सर्विस दे रहे हैं, उससे गुजारा होना मुश्किल है और लगातार घाटा उठाना पड़ रहा है. देश की जितनी भी बड़ी टेलीकॉम कंपनियां हैं, सबने लागत और महंगाई की बात कर 20 परसेंट तक मोबाइल के टैरिफ बढ़ा दिए हैं. इन कंपनियों में रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया शामिल हैं. इन कंपनियों का कहना था कि टेलीकॉम बिजनेस को आगे चलाना है तो टैरिफ बढ़ाना जरूरी है. सबसे पहले एयरटेल, उसके बाद वोडा आइडिया और अंत में जियो ने मोबाइल रिचार्ज के रेट बढ़ाए. लगभग 20 परसेंट तक प्लान महंगे हो गए हैं.
15-20 परसेंट रेट बढ़ाने की तैयारी
इसी तर्ज पर ब्रॉडबैंक वाले इंटरनेट के टैरिफ भी बढ़ाने की तैयारी है. कोलकाता में मेघबेला ब्रॉडबैंड के सहसंस्थापक तपब्रत मुखर्जी ने ‘PTI’ से कहा, जिस तरह मोबाइल के लिए टेलीकॉम इंटरनेट सर्विस एआरपीयू (एवरेज रेवेन्यू पर कस्टमर) होता है, उसी तरह ब्रॉडबैंक के लिए भी एक व्यवस्था की जरूरत है. ब्रॉडबैंड कंपनियां भारी घाटे से गुजर रही हैं और ग्राहकों को अच्छी सुविधा देने के लिए कंपनियों में एक होड़ सी मची है. ब्रॉडबैंक की मौजूदा सर्विस को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए रेट में 15-20 फीसदी तक बढ़ोतरी करने की जरूरत है.
ओटीटी ने बढ़ाया दबाव
मार्केट ट्रेंड को देखते हुए ओवर द टॉप या OTP स्ट्रीमिंग सर्विस बिना किसी चार्ज के दी जा रही है. इससे इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स पर दबाव बढ़ गया है. मुखर्जी ने कहा कि एयरटेल, जियो जैसी राष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनियों को अपने टैरिफ को रिवाइज करना होगा, अन्यथा छोटी कंपनियों को अपने ग्राहकों के भागने से रोकने के लिए मौजूदा टैरिफ ढांचे के साथ समानता रखनी होगी. अभी जो स्थिति है उसे देखकर यही लगता है कि ब्रॉडबैंक की बड़ी कंपनियां इंटरनेट के रेट को रिवाइज करने के मूड में नहीं लगतीं.
छोटी कंपनियों का बुरा हाल
ब्रॉडबैंड की बड़ी-बड़ी कंपनियां जैसे कि एयरटेल और जियो हैं, इनका ध्यान हाई वैल्यू कस्टमर पर है जो इंटरनेट पर अधिक खर्च करते हैं. इन पैसे वाले कस्टमर से कंपनियों की अच्छी कमाई हो जाती है जिससे एआरपीयू सुधारने में मदद मिलती है. दूसरी ओर, ब्रॉडबैंड की छोटी या लोकल कंपनियों के पास कम पैसे खर्च करने वाले ग्राहक हैं, लेकिन इन ग्राहकों की संख्या बहुत ज्यादा है.
इन छोटी कंपनियों में बहुत ज्यादा मुकाबला भी नहीं है. लेकिन अगर बड़ी कंपनियां छोटे शहरों में अपना काम बढ़ाएंगी तो मुकाबला बढ़ेगा और अधिक दबाव उन छोटी कंपनियों पर पड़ेगा जिनके ग्राहक कम खर्च करने वाले हैं. यह ट्रेंड शुरू हो गया है इसलिए लोकल ब्रॉडबैंड कंपनियां भी अपने इंटरनेट टैरिफ को बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी हैं.
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