क्या स्पेनिश फ्लू की तरह 2 साल में खत्म होगा कोरोना, तीसरी लहर की आशंका के बीच हर्ड इम्यूनिटी बनेगी हथियार?…

कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच लोगों से वैक्सीन की दोनों डोज लेने और तमाम सावधानियां बरतने की अपील की जा रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि ओमीक्रॉन वेरिएंट से रिइंफेक्शन होने का भी खतरा है. यानी, पहले संक्रमित हो चुके लोग भी दोबारा कोरोना की चपेट में आ सकते हैं. डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों को नए वेरिएंट को लेकर सतर्क रहने और ट्रेसिंग को बढ़ाने की हिदायत दी है.

कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने दुनियाभर में तबाही मचाई है और अब इसकी तीसरी लहर आने की आशंका व्यक्त की जा रही है. एक आशंका बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने को लेकर भी है, जबकि हार्ट, बीपी, कैंसर वगैरह के मरीजों के लिए भी डॉक्टर्स लगातार सावधान रहने की सलाह जारी कर रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं, दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल के डॉ बलबीर सिंह से कुछ जरूरी सवालों के जवाब.

तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है इससे बचने के क्या उपाय हैं?

डॉ बलबीर सिंह ने आकाशवाणी को दिए गए एक साक्षात्कार में बताया कि सबसे बड़ा उपाय वैक्सीनेशन है. देश में 50% लोग फुल इम्यूनाइज्ड हो चुके हैं यानी 50 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है. यह खुशी की बात है इंडिया में एक लार्जेस्ट नंबर है, जो वैक्सीनेटेड है. लेकिन हमें यह भी याद रखना है 50 परसेंट लोग इम्यून नहीं है. तो जिन लोगों को डायबिटीज है, हाइपरटेंशन है, किडनी की बीमारियां हैं, हार्ट की बीमारियां हैं, कैंसर है, ऐसे लोगों को बहुत सावधान रहने की जरूरत है. सबसे जरूरी है, वैक्सीन लगवाना. अगर नहीं लगी है तो बिना देरी किए वैक्सीन लगवाएं और कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखें.

क्या हर्ड इम्यूनिटी से खत्म होगा कोरोना?

दुनिया भर में कई आलेख प्रकाशित हो रहे हैं कि नया वेरिएंट लोगों में काफी तेजी से भर रहा है, इससे लोगों में कोरोना के प्रति इम्यूनिटी जेनरेट होगी और दुनिया हर्ड इम्यूनिटी के करीब पहुंच जाएगी. ऐसे में कोरोना का खात्मा हो सकता है… इसको लेकर डॉ बलबीन ने कहा, “जो स्पेनिश फ्लू था, वह भी 2 साल में खत्म हुआ. ऐसे ही वायरस खत्म होते हैं, वह वेरिएंट बनाते रहते हैं.

वेरिएंट जेनरल इम्यूनिटी के अगेंस्ट काम करते रहते हैं, तो वायरस अपना विरूलेंस खो देता है. जो लोग इम्यून हो जाते हैं, उनके प्रति वायरस का अटैकिंग नेचर कम हो जाता है. वह उतना हार्मफुल नहीं रहता है. तो कोरोना के मामले में भी हो सकता है, ऐसा ही हो. अल्टीमेटली कोरोना की हार होगी. लेकिन जब तक नहीं होता है तब तक हमें और आपको बहुत सावधान रहने की जरूरत है.

आकाशवाणी के साक्षात्‍कार  में बोले डॉ बलबीर

गंभीर बीमारियों के मरीज कैसे अपना ध्यान रखें?

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देखा गया, कई मरीजों में हार्ट प्रॉब्लम पैदा हो गए. जिनको पहले से था उन्हें कोरोना ने ज्यादा परेशान किया. ऐसे में डॉ बलबीर का कहना है कि सर्दी के मौसम में कोविड-19 संबंधित सारी सावधानियां बरतनी चाहिए. लोगों से मिलने-जुलने से बचना चाहिए, शॉपिंग ऑनलाइन कर सकते हैं तो ऑनलाइन ही करिए.

जिनको हार्ट की बीमारी पहले हो चुकी है उन्हें ठंड से बचना चाहिए, प्रदूषण से बचना चाहिए. इनफ्लुएंजा वैक्सीन का भी शॉट लगवा लेना चाहिए. अपनी दवाई समय से लेनी चाहिए. ब्लड प्रेशर का ध्यान जरूर रखना चाहिए. इसके अलावा खूब चलें. अगर बाहर नहीं निकल रहे हैं तो घर पर ही टहलें. यह बहुत जरूरी एक्सरसाइज है.

बच्चों पर इस वेरिएंट का कैसा प्रभाव पड़ेगा?

जब डेल्टा वेरिएंट अपने चरम पर था तो बहुत सारे विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि तीसरी लहर में बच्चों पर ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है. अब ऐसी आशंका भी जताई जा रही है कि तीसरी लहर आने वाली है तो क्या बच्चों पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ेगा? इस सवाल पर डॉ सिंह ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट बहुत एग्रेसिव था. इसमें बहुत सारे लोग मारे गए थे, लेकिन बच्चे नहीं के बराबर अस्पताल में आए. तो यह इंडिकेट करता है कि वायरस से बच्चों ने अच्छी तरह फाइट किया.

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि बच्चों को इंफेक्शन नहीं होगा. जो बच्चे घर पर अपनी मां, पिता या बड़ों के साथ रहते हैं और अगर उन्हें इंफेक्शन हुआ तो उनसे बच्चों में भी फैल सकता है. पिछली बार हमने देखा है कि बच्चों में सिम्पटम्स नहीं आए, बच्चे ज्यादा हॉस्पिटलाइज नहीं हुए तो हो सकता है कि ओमीक्रॉन के साथ भी यही स्थिति हो. लेकिन तमाम सावधानियां बरतनी जरूरी है.